बेबाक चर्चा
हल्द्वानी: कुमाऊं क्षेत्र के करीब 50,000 अर्द्धसैनिक बलों के जवानों और उनके परिवारों के लिए एक **बड़ी खुशखबरी** आई है। लंबे संघर्ष और 16 साल के इंतजार के बाद, अब उन्हें हल्द्वानी और नैनीताल में **केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना (CGHS)** का लाभ मिलने जा रहा है। सरकार ने इस ऐतिहासिक मांग को पूरा करते हुए देश भर में 22 नए सीजीएचएस सेंटर खोलने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
### क्या था पूरा मामला?
कुमाऊं में तैनात और सेवानिवृत्त अर्द्धसैनिक बलों के जवानों को दशकों से सीजीएचएस जैसी महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सुविधा से वंचित रहना पड़ रहा था। पूर्व केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल कार्मिक संगठन इस मांग को लेकर लगातार आवाज उठा रहा था। हाल ही में, संगठन के नैनीताल जिलाध्यक्ष और डिप्टी कमांडेंट (सेवानिवृत्त) **दरवान सिंह बोहरा** ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को एक स्पीड पोस्ट भेजा था।
इस पत्र का जवाब महज 7 दिनों में आया। स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव डॉ. मनस्वी कुमार ने उन्हें बताया कि हल्द्वानी और नैनीताल में जल्द ही सीजीएचएस सुविधा शुरू होने वाली है। इसके लिए एक टीम पहले ही भवन का निरीक्षण कर चुकी है और पूरे देश में 22 नए सीजीएचएस सेंटर के लिए 286 पदों को भी मंजूरी मिल चुकी है।
कैसा होगा नया CGHS सेंटर?
नए सीजीएचएस सेंटर में **चार डॉक्टरों के साथ 13 लोगों का स्टाफ** होगा। यहां सामान्य उपचार के साथ-साथ गंभीर मामलों में मरीजों को सीजीएचएस से संबद्ध बड़े अस्पतालों में रेफर करने की सुविधा भी होगी। सबसे खास बात यह है कि इस कार्ड के आधार पर जवानों और उनके आश्रितों को **कैशलेस और मुफ्त उपचार** मिल सकेगा।
सीजीएचएस एक व्यापक स्वास्थ्य बीमा योजना है, जो ओपीडी, इनडोर उपचार, विशेषज्ञ परामर्श और दवाओं की सुविधा प्रदान करती है। यह सुविधा न सिर्फ सरकारी अस्पतालों में, बल्कि सीजीएचएस-पैनलबद्ध निजी अस्पतालों और डायग्नोस्टिक सेंटरों में भी उपलब्ध होगी।
### लाखों का स्वास्थ्य कवच, ये है कार्ड की कीमत
इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए जवानों को सीजीएचएस कार्ड बनवाना होगा, जिसके लिए रैंक के अनुसार शुल्क निर्धारित किया गया है:
– **सिपाही व हवलदार:** ₹30,000
– **सब इंस्पेक्टर:** ₹54,000
– **इंस्पेक्टर से डिप्टी कमांडेंट:** ₹78,000
– **डिप्टी कमांडेंट से ऊपर के अधिकारी:** ₹1.20 लाख
पूर्व डिप्टी कमांडेंट दरवान सिंह बोहरा ने इसे एक बड़ी जीत बताया। उन्होंने कहा कि यह पूरे कुमाऊं के हजारों जवानों के लिए एक बड़ी राहत है और अब उनका अगला लक्ष्य सुदूर पर्वतीय क्षेत्रों में भी इस सुविधा को पहुंचाना है। यह फैसला बताता है कि सरकार जवानों के स्वास्थ्य और कल्याण के प्रति गंभीर है और उनके लंबे संघर्ष का सम्मान किया है।