बेबाक चर्चा
रुद्रपुर।एसएसपी मणिकांत मिश्रा के नेतृत्व में ऊधम सिंह नगर पुलिस ने अपराधियों के विरुद्ध चलाए जा रहे अभियान में एक और बड़ी सफलता हासिल की है। पंतनगर थाना क्षेत्र में हुई सनसनीखेज हत्या का पुलिस ने मात्र 12 घंटे के भीतर पर्दाफाश कर दिया। दिल दहला देने वाली बात यह है कि मृतक का कातिल कोई और नहीं, बल्कि उसका सगा पिता निकला।
बेटे की हत्या कर लोगों के सामने फूट-फूटकर रोने का किया दिखावा, पर हकीकत थी दिल दहला देने वाली !
सिडकुल क्षेत्र में अंकित गंगवार की गला दबाकर हत्या कर दी गई थी, जिसकी सूचना मिलते ही पूरे क्षेत्र में सनसनी फैल गई। सोशल मीडिया पर यह खबर तेजी से वायरल हुई और आमजन में रोष उत्पन्न हो गया। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए सर्विलांस, सीसीटीवी फुटेज और मैनुअल पुलिसिंग के माध्यम से मामले की गहन जांच की। घटना की गंभीरता को देखते हुए पांच टीमों का गठन किया गया था।
जांच में जो सच सामने आया, वह समाज के सामने रिश्तों की गिरती हुई सच्चाई को उजागर करने वाला था। बताया जा रहा है कि आरोपी पिता जगन्नाथ अपने वेतन के पैसों की चोरी को लेकर पत्नी और पुत्र से बेहद परेशान था। आर्थिक तंगी और पारिवारिक कलह ने उसे इस हद तक धकेल दिया कि उसने अपने ही पुत्र की गला दबाकर हत्या कर दी।
बुधवार को एसएसपी कार्यालय में हत्या की वारदात का खुलासा करते हुए एसपी क्राइम निहारिका तोमर ने बताया कि सीसीटीवी फुटेज में अंकित के पिता उसे साइकिल में स्कूल के पास से ले जाते हुए दिखे।
इसके बाद जब पुलिस टीम से विस्तृत जांच की तो इस हत्याकांड के शक की पूरी सुई अंकित के पिता की और घूम गई। पुलिस ने जब अंकित के पिता से सख्ती से पूछताछ की तो उसने अपना जुर्म कबूल कर लिया।
पुलिस ने जब अपराधी को गिरफ्तार किया और हकीकत सामने आई, तो क्षेत्र में लोगों की आंखें नम हो गईं। लोगों ने एक ओर पुलिस की कार्यप्रणाली की खुलकर प्रशंसा की, वहीं दूसरी ओर बदलते समाज की मानसिकता पर गहरी चिंता व्यक्त की। सिर्फ कुछ पैसों की खातिर रिश्तों की बलि चढ़ा दी गई—यह आज के समाज के लिए एक बड़ा सवाल बनकर उभरा है।
क्या अब रिश्तों की अहमियत खत्म होती जा रही है? क्या पैसे का लालच इतना हावी हो गया है कि पिता-पुत्र जैसे पवित्र संबंध भी ताक पर रख दिए जाएं?
इस घटना ने समाज को आईना दिखा दिया है। जहां एक ओर उत्तराखंड पुलिस तत्परता, तकनीक और मानवता के साथ अपराधियों पर शिकंजा कस रही है, वहीं दूसरी ओर पारिवारिक मूल्यों का क्षरण चिंता का विषय बनता जा रहा है।