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नैनीताल हाईकोर्ट ने ऋषिकेश में एक फर्जी बैंकिंग कारोबार के जरिए सैकड़ों करोड़ रुपये की ठगी करने के गंभीर मामले में राज्य सरकार को गहन अध्ययन कर जांच रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं.

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बेबाक चर्चा  

इसके साथ ही सीबीआई के अधिवक्ता से भी इस प्रकरण पर अपनी राय देने को कहा गया है. यह आदेश मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंदर और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया.

याचिकाकर्ता ऋषिकेश निवासी आशुतोष ने अदालत में बताया कि एलयूसीसी नामक एक सोसाइटी ने 2021 में उत्तराखंड में अवैध रूप से बैंकिंग गतिविधियां शुरू की थीं. इस संस्था ने स्थानीय लोगों को एजेंट और निदेशक बनाकर उनसे भरोसा हासिल किया और विभिन्न योजनाओं में मोटे मुनाफे का लालच देकर करीब 640 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि जमा की.

बताया गया कि इस फर्जी संस्था ने देहरादून, ऋषिकेश और पौड़ी समेत कई जिलों में कार्यालय खोले और निवेशकों को ठगने का काम किया. यही नहीं, उत्तराखंड में सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत इसका पंजीकरण तक नहीं कराया गया.

इतने बड़े घोटाले को क्यों नहीं रोक पाई सरकार

2023-24 में कंपनी ने अचानक अपने सभी दफ्तर बंद कर दिए और मुख्य आरोपी देश छोड़कर फरार हो गया. जानकारी के अनुसार आरोपी दुबई भाग गया है. इस मामले में प्रदेश में अब तक 14 मुकदमे दर्ज हो चुके हैं, जबकि अन्य राज्यों में 56 मामले दर्ज हैं. याचिका में यह भी कहा गया कि अब निवेशकों की परेशानियों का ठीकरा स्थानीय एजेंटों पर फोड़ा जा रहा है. पुलिस और पीड़ित लोग एजेंटों को प्रताड़ित कर रहे हैं, जबकि असल जिम्मेदार अभी तक पकड़ा नहीं गया है.

याचिकाकर्ता ने यह सवाल उठाया कि जब यह संस्था बिना किसी वैधानिक पंजीकरण और अनुमति के इतने बड़े पैमाने पर कारोबार कर रही थी, तब सरकार और विभागीय अफसर क्या कर रहे थे. इसीलिए पूरे मामले की उच्चस्तरीय और निष्पक्ष जांच कराने की मांग की गई.

कोर्ट में मामले की जांच कर रहे विवेचक भी उपस्थित हुए. सुनवाई के बाद न्यायालय ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह सभी पहलुओं का अध्ययन कर विस्तृत जांच रिपोर्ट अदालत में प्रस्तुत करे. साथ ही सीबीआई के अधिवक्ता से भी इस पर अपनी राय देने को कहा गया है.

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