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लॉरेंस बिश्नोई गिरोह पर उठी आवाज़, कनाडा के अल्बर्टा और ब्रिटिश कोलंबिया प्रांतों की सरकारों ने लॉरेंस बिश्नोई गिरोह को आतंकवादी संगठन के रूप में मान्यता देने की मांग की है।

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बेबाक चर्चा  

अल्बर्टा की प्रीमियर डेनिएल स्मिथ और सार्वजनिक सुरक्षा मंत्री माइक एलिस ने सोमवार को एक बयान में कहा कि यह गिरोह कनाडा में हिंसा, जबरन वसूली, मादक पदार्थों की तस्करी और लक्षित हत्याओं जैसी गंभीर आपराधिक गतिविधियों में संलग्न है। इस एकजुट अपील के बाद मामला राजनीतिक और कानूनी दृष्टि से नया मोड़ ले चुका है।

अल्बर्टा सरकार का दृष्टिकोण

लॉरेंस बिश्नोई गिरोह एक अंतरराष्ट्रीय आपराधिक नेटवर्क है, जिसकी गतिविधियाँ कनाडा तक फैली हुई हैं। सरकार का मानना है कि इस निर्णय से प्रांतीय और स्थानीय स्तर पर चल रहे अपराध-विरोधी अभियानों को नई ऊर्जा मिलेगी।

संघीय मंत्री का बयान

कनाडा के सार्वजनिक सुरक्षा मंत्री गैरी आनंदसांगरी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि किसी संगठन को आतंकवादी घोषित करने के लिए कड़ी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करना आवश्यक है। वर्तमान में, यह मामला कानून प्रवर्तन एजेंसियों के विचाराधीन है, जिसका अर्थ है कि सरकार तथ्यों और सबूतों के आधार पर आगे की कार्रवाई पर विचार कर रही है।

बिश्नोई गिरोह की गतिविधियों पर संदेह

हालांकि लॉरेंस बिश्नोई गिरोह का नाम ओंटारियो, अल्बर्टा और बीसी में जबरन वसूली की घटनाओं से जुड़ा है, लेकिन बीसी की विशेष प्रवर्तन इकाई (CFSEU-BC) ने कहा है कि यह गिरोह उनके सक्रिय आपराधिक गिरोहों की सूची में नहीं है। सीएफएसईयू की प्रवक्ता कॉर्पोरल सरबजीत संघा ने पंजाबी में कहा कि उनके पास ऐसा कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं है जो यह सिद्ध करे कि लॉरेंस बिश्नोई यहां सक्रिय गिरोहों से जुड़ा हुआ है।

भारत की चिंता और गोल्डी बराड़ का मामला

भारत सरकार ने भी कनाडा में बिश्नोई गिरोह के नेटवर्क के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। इसमें सतिंदरजीत सिंह उर्फ गोल्डी बराड़ का नाम प्रमुखता से सामने आया है, जो पंजाबी गायक और नेता सिद्धू मूसे वाला की हत्या से संबंधित नहीं है।

अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क के खिलाफ एकजुटता

लॉरेंस बिश्नोई गिरोह के कथित वैश्विक नेटवर्क और कनाडा में उसकी गतिविधियों को देखते हुए यह स्पष्ट है कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों और सरकारों को समन्वित कार्रवाई करनी होगी। आतंकवादी संगठन घोषित करने की प्रक्रिया कानूनी हो सकती है, लेकिन उठाए गए कदम यह दर्शाते हैं कि कनाडा अब इस नेटवर्क को नजरअंदाज नहीं कर सकता।

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