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रुद्रपुर/देहरादून: विश्व प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में हुए पाखरो रेंज घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अपनी जांच तेज कर दी है। मंगलवार को ईडी ने इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों के तहत दो तत्कालीन प्रभागीय वनाधिकारी (DFO) और दो रेंजरों के खिलाफ स्पेशल पीएमएलए कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी है।
ईडी द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार, आरोपियों में सेवानिवृत्त डीएफओ किशनचंद, तत्कालीन डीएफओ अभिषेक तिवारी, सेवानिवृत्त रेंजर बृजबिहारी शर्मा और रेंजर मथुरा सिंह मावदी शामिल हैं। ईडी इस मामले में पहले ही आरोपियों की 1.75 करोड़ रुपये की संपत्ति अटैच कर चुका है।
अधिकारियों पर मिलीभगत कर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप
ईडी की जांच में यह बात सामने आई है कि इन सभी अधिकारियों ने आपसी मिलीभगत कर पाखरो रेंज में अवैध निर्माण और पेड़ों के कटान के बाद प्राप्त हुए धन का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग में किया। यह जांच विजिलेंस और सीबीआई द्वारा दर्ज किए गए मुकदमों और चार्जशीट के आधार पर शुरू की गई थी। लगभग एक साल तक चली गहन जांच के बाद अब ईडी ने इन अधिकारियों के खिलाफ कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया है।
इससे पहले, ईडी ने इसी महीने आरोपियों से संबंधित 1.75 करोड़ रुपये की संपत्ति को अटैच किया था। यह संपत्ति रेंजर बृजबिहारी शर्मा की पत्नी और डीएफओ किशनचंद के बेटों के नाम पर थी।
क्या है पाखरो रेंज घोटाला?
यह मामला कॉर्बेट टाइगर रिजर्व की पाखरो रेंज में टाइगर सफारी के निर्माण से जुड़ा है। सफारी के लिए 106 हेक्टेयर वन क्षेत्र में वर्ष 2019 में बिना किसी वित्तीय स्वीकृति के निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया। इस दौरान बड़े पैमाने पर पेड़ों के अवैध कटान और अवैध निर्माण की शिकायतें मिलीं।
शिकायतों के बाद राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) की जांच में गंभीर अनियमितताएं पाई गईं। इसके बाद विजिलेंस ने 2022 में पूर्व डीएफओ किशनचंद और रेंजर बृज बिहारी शर्मा के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। आरोप था कि टाइगर सफारी के नाम पर सरकारी खजाने को 215 करोड़ रुपये का चूना लगाया गया। बाद में, हाईकोर्ट के आदेश पर यह पूरा मामला सीबीआई को सौंप दिया गया, जिसने 11 अक्टूबर 2023 को मुकदमा दर्ज कर इस वर्ष अपनी चार्जशीट दाखिल की थी।