बेबाक चर्चा
नई दिल्ली। भारतीय वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में एक बड़ी सफलता हासिल की है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के शोधकर्ताओं ने एक पुरानी दवा ‘एसबी 431542’ को कोरोना वायरस के खिलाफ अत्यधिक प्रभावी पाया है। इस खोज की सबसे खास बात यह है कि 50 बार दवा के संपर्क में आने के बावजूद वायरस इसके खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित नहीं कर पाया।
आईसीएमआर के राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (NIV) और बेल्जियम के वैज्ञानिकों के सहयोग से किए गए इस शोध के नतीजे बेहद आशाजनक हैं। हालांकि, यह शोध अभी बायोरेक्सिव (bioRxiv) जर्नल पर प्री-प्रिंट के रूप में प्रकाशित हुआ है और इसे अंतिम वैज्ञानिक समीक्षा का इंतजार है, लेकिन शुरुआती परिणाम भविष्य के लिए एक नई उम्मीद जगाते हैं। अगर यह दवा इंसानी परीक्षणों में भी सफल रहती है, तो यह कोविड-19 के साथ-साथ भविष्य में आने वाले अन्य कोरोना वायरसों के खिलाफ भी एक क्रांतिकारी हथियार साबित हो सकती है।
दवा का तिहरा प्रहार, वायरस बेअसर
राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (NIV) के निदेशक डॉ. नवीन कुमार के अनुसार, यह दवा एक साथ तीन स्तरों पर कोरोना वायरस पर हमला करती है, जिससे उसकी रणनीति पूरी तरह विफल हो जाती है।
- प्रवेश पर रोक: यह दवा शरीर में टीजीएफ-बीटा (TGF-beta) नामक प्रोटीन के रास्ते को बंद कर देती है, जिसका इस्तेमाल वायरस इंसानी कोशिकाओं में प्रवेश के लिए करता है।
- अंदरूनी प्रक्रिया को फेल करना: यह दवा वायरस के ओआरएफ3ए (ORF3a) प्रोटीन से चिपककर वायरस की असेंबली प्रक्रिया (खुद की संख्या बढ़ाने की प्रक्रिया) को रोक देती है।
- फैलने से रोकना: जब वायरस संक्रमित कोशिका को तोड़कर बाहर निकलने की कोशिश करता है, तो यह दवा उस प्रक्रिया को भी बाधित कर देती है।
अब तक की सबसे टिकाऊ एंटीवायरल
शोध की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि यह है कि जब वायरस को लगातार 50 बार इस दवा के संपर्क में लाया गया, तब भी वह इसके खिलाफ कोई प्रतिरोध विकसित नहीं कर सका। यह मौजूदा एंटीवायरल दवाओं जैसे रेमडेसिवीर के मुकाबले एक बड़ी जीत है, जिनके खिलाफ वायरस जल्दी ही प्रतिरोधक क्षमता बना लेता है। वैज्ञानिकों ने चूहे के भ्रूणों में चिकन कोरोना वायरस पर भी इस दवा का सफल परीक्षण किया है।
शोध के प्रमुख लेखक डॉ. कुमार ने कहा, “एसबी 431542 न केवल सीधे वायरस को रोकती है, बल्कि उन मेजबान कोशिकाओं की कमजोरियों को भी निशाना बनाती है जिनका वायरस फायदा उठाता है। इससे वायरस को प्रतिरोध विकसित करने का मौका ही नहीं मिलता।” उन्होंने बताया कि जल्द ही भारत के विभिन्न अस्पतालों में इस दवा का इंसानों पर परीक्षण शुरू किया जाएगा।