बेबाक चर्चा
पाकिस्तान को एक और कड़ा संदेश देते हुए केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले में चिनाब नदी पर दशकों से लंबित 1856 मेगावाट की विशाल सवालकोट जलविद्युत परियोजना को मंजूरी दे दी है। यह कदम सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) पर भारत के बदले हुए आक्रामक रुख को दर्शाता है। नेशनल हाइड्रोपावर कॉरपोरेशन (NHPC) ने परियोजना के निर्माण के लिए ई-टेंडर भी जारी कर दिए हैं, जिससे पाकिस्तान की आपत्तियों को दरकिनार कर दिया गया है।
दशकों से लंबित थी परियोजना
यह महत्वाकांक्षी परियोजना जम्मू से लगभग 120 किलोमीटर और श्रीनगर से 130 किलोमीटर दूर रामबन जिले के सिधू गांव के पास चिनाब नदी पर बनाई जाएगी। पाकिस्तान के लगातार विरोध के कारण 1960 के दशक में बनी यह योजना अब तक अटकी हुई थी। NHPC द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, टेंडर भरने की अंतिम तिथि 10 सितंबर रखी गई है। इस परियोजना को सिंधु नदी प्रणाली के पानी के अधिकतम उपयोग की दिशा में भारत का एक बड़ा और रणनीतिक कदम माना जा रहा है।
आतंकी हमलों के बाद भारत ने बदला था रुख
भारत ने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी हमलों के बाद सिंधु जल संधि पर अपने रुख में सख्ती लाते हुए पाकिस्तान को मिलने वाले अतिरिक्त पानी को रोकने का फैसला किया था। सवालकोट परियोजना को मंजूरी देना उसी फैसले की एक महत्वपूर्ण कड़ी है।
विदेश मंत्री ने गिनाईं थीं पुरानी गलतियां
हाल ही में, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सिंधु जल संधि को लेकर कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकारों की आलोचना की थी। उन्होंने कहा था, “मैं यह सोच भी नहीं सकता कि दुनिया में कोई ऐसी संधि हो सकती है, जहां कोई देश अपने यहां से बहने वाली नदी पर अपना अधिकार रखे बिना सारा पानी दूसरे देश को दे दे।”
जयशंकर ने संसद में दिए गए भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के बयान का हवाला देते हुए कहा था कि उन्होंने (नेहरू ने) यह संधि ‘पाकिस्तानी पंजाब के हित’ में की थी और उस समय कश्मीर, पंजाब या राजस्थान के किसानों के हितों के बारे में नहीं सोचा गया था। विदेश मंत्री के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करके और सिंधु जल संधि पर कड़ा रुख अपनाकर उन “ऐतिहासिक गलतियों को सुधारा है”।