बेबाक चर्चा
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने करोड़ों रुपये के फर्जी बैंक गारंटी रैकेट का पर्दाफाश करते हुए ओडिशा स्थित कंपनी ‘बिस्वाल ट्रेडलिंक’ के प्रबंध निदेशक (MD) पार्थ सारथी बिस्वाल को गिरफ्तार किया है। आरोपी पर एक संगठित गिरोह चलाकर देशभर की बड़ी कंपनियों को निशाना बनाने और मनी लॉन्ड्रिंग करने का आरोप है। इस रैकेट के जाल में रिलायंस ग्रुप की एक सहायक कंपनी भी फंस गई, जिसके लिए 68 करोड़ रुपये से अधिक की फर्जी गारंटी जारी की गई थी।
ईडी ने पार्थ सारथी बिस्वाल को शुक्रवार को भुवनेश्वर से गिरफ्तार किया। यह कार्रवाई दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) द्वारा नवंबर 2024 में दर्ज की गई एक FIR के आधार पर की गई।
8% कमीशन पर चलता था गोरखधंधा
ईडी की जांच के अनुसार, बिस्वाल ट्रेडलिंक नाम की यह कंपनी महज 8 प्रतिशत के कमीशन पर बड़ी कंपनियों को नकली बैंक गारंटी जारी करती थी। जांच में एक बड़ा मामला सामने आया, जिसमें रिलायंस एनयू बीईएसएस लिमिटेड के लिए सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (SECI) को 68.2 करोड़ रुपये की एक बैंक गारंटी दी गई थी, जो पूरी तरह से नकली पाई गई। इस मामले में रिलायंस ग्रुप ने खुद को धोखाधड़ी का शिकार बताते हुए अक्टूबर 2024 में दिल्ली पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी।
SBI के नाम पर साइबर फ्रॉड, नकली ईमेल डोमेन से सरकारी एजेंसियों को धोखा
यह गिरोह बेहद शातिर तरीके से काम कर रहा था। ईडी ने खुलासा किया कि आरोपियों ने भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की साख का दुरुपयोग किया। उन्होंने बैंक के आधिकारिक ईमेल डोमेन sbi.co.in
से मिलता-जुलता एक नकली ईमेल डोमेन बनाया और उसी के जरिए सरकारी संस्थाओं को फर्जी दस्तावेज भेजे। यह एक गंभीर साइबर फ्रॉड है, जिसका उद्देश्य सरकारी एजेंसियों को भी गुमराह करना था। ईडी ने अब इस फर्जी डोमेन के बारे में नेशनल इंटरनेट एक्सचेंज ऑफ इंडिया (NIXI) से जानकारी मांगी है।
अघोषित खाते, फर्जी बिलिंग और सबूत मिटाने की साजिश
जांच के दौरान ईडी को कंपनी से जुड़े सात से अधिक अघोषित बैंक खातों का पता चला है, जिनमें भारी मात्रा में लेन-देन हुआ है। इन खातों में हुए ट्रांजैक्शन कंपनी के घोषित टर्नओवर से कई गुना ज्यादा हैं, जो सीधे तौर पर मनी लॉन्ड्रिंग की ओर इशारा करते हैं। इसके अलावा, कंपनी ने फर्जी बिलिंग के जरिए भी पैसों की हेराफेरी की है। इस सिलसिले में ईडी ने भुवनेश्वर और कोलकाता में कुल चार ठिकानों पर छापेमारी कर कई अहम दस्तावेज बरामद किए हैं।
ईडी सूत्रों के मुताबिक, यह कंपनी असल में एक “पेपर एंटिटी” है, जिसका पंजीकृत कार्यालय एक रिश्तेदार के घर पर दिखाया गया है, जहाँ कंपनी से जुड़ा कोई रिकॉर्ड नहीं मिला। आरोपी इतने शातिर थे कि वे आपसी बातचीत के लिए टेलीग्राम ऐप का इस्तेमाल करते थे और सारे सबूत मिटाने के लिए सभी चैट्स को ‘डिसअपीयरिंग मोड’ पर रखते थे। ईडी मामले की गहनता से जांच कर रही है।