बेबाक चर्चा
इंदौर के बिचौली हप्सी में बना सिटी फॉरेस्ट, जिसे कभी शहर के फेफड़ों के रूप में विकसित किया जा रहा था, आज स्थानीय निवासियों के लिए एक गंभीर संकट बन गया है। नगर निगम की लापरवाही के चलते यह 31 एकड़ का हरा-भरा जंगल अब ‘ग्रीन वेस्ट’ यानी पत्तियों और टहनियों के कचरे का डंपिंग ग्राउंड बन चुका है। यहां सड़ती पत्तियों के ढेरों में लग रही आग से उठता जहरीला धुआं और जमीन में रिसता गंदा पानी आसपास की कॉलोनियों में बीमारी और हताशा फैला रहा है।
रहवासियों के भारी विरोध के बाद नगर निगम कमिश्नर शिवम वर्मा ने मामले की जांच के निर्देश दिए हैं।
हरियाली पर कचरे का ग्रहण
कुछ महीने पहले तक इस सिटी फॉरेस्ट में हजारों पेड़ लगाकर इसे एक आदर्श हरित क्षेत्र बनाने का काम चल रहा था। यहां पहले से मौजूद 10,000 पेड़ों के अलावा 8,000 और पौधे लगाने की योजना थी। लेकिन नगर निगम के एक फैसले ने इन तमाम कोशिशों पर पानी फेर दिया। शहर भर से निकलने वाले ग्रीन वेस्ट को यहां ट्रेचिंग ग्राउंड की तरह डंप किया जाने लगा, जिससे यह पूरा इलाका कचरे के विशाल ढेरों में तब्दील हो गया है।
जहरीला धुआं और सांस की बीमारियां
पत्तियों के इन ढेरों में मीथेन जैसी गैसें बनने से अक्सर अपने आप आग लग जाती है। इससे उठता घना और जहरीला धुआं मीलों तक फैलकर आसपास की कॉलोनियों, जैसे शिखरजी ड्रीम्स, सिल्वर लेक, आदि के वातावरण को विषाक्त बना रहा है। निवासियों का आरोप है कि इस जहरीली हवा के कारण, खासकर बच्चों और बुजुर्गों में अस्थमा और सांस से जुड़ी अन्य बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। नगर निगम की दमकलें कई बार आग बुझाने आती हैं, लेकिन तब तक हवा में जहर घुल चुका होता है।
पेट्रोल जैसा हुआ पानी, रहवासियों ने दी कोर्ट जाने की चेतावनी
हवा के साथ-साथ अब भूजल भी गंभीर रूप से प्रदूषित हो गया है। लोगों का कहना है कि जब से यहां कचरा डाला जा रहा है, उनके ट्यूबवेल से निकलने वाला पानी गंदा, बदबूदार और तैलीय हो गया है। एक निवासी ने पानी की हालत को “पेट्रोल जैसा” बताया, जो अब कपड़े धोने तक के लायक नहीं बचा है।
इस दोहरी मार से त्रस्त होकर निवासियों ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि नगर निगम ने तुरंत इस सिटी फॉरेस्ट को डंपिंग ग्राउंड के रूप में इस्तेमाल करना बंद नहीं किया और यहां से कचरा नहीं हटाया, तो वे न्याय के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे।
अधिकारी बोले- “मामला संज्ञान में है, दिखवा रहे हैं”
इस पूरे मामले पर नगर निगम कमिश्नर शिवम वर्मा ने कहा, “यह मामला हमारी जानकारी में आया है। इसे दिखवाने के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं।” हालांकि, रहवासियों का कहना है कि जब तक ठोस कार्रवाई नहीं होती, उनका विरोध जारी रहेगा, क्योंकि अब यह उनके जीवन और स्वास्थ्य का सवाल बन गया है।