बेबाक चर्चा
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में स्मार्ट मीटर लगाने वाली कंपनियां अब बिजली विभाग के लिए ही ‘शॉक’ बन गई हैं। सीतापुर में एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जहां स्मार्ट मीटर लगाने वाली कंपनी ने उपभोक्ताओं से मिलीभगत करके करोड़ों रुपये का घोटाला किया है। इस मामले में **मध्यांचल विद्युत वितरण निगम** के अवर अभियंता ने स्मार्ट मीटर कंपनी के प्रबंधक सहित चार अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है।
### **करोड़ों की ‘साजिश’ का खुलासा**
जांच में पता चला कि स्मार्ट मीटर लगाने वाली **पोलरिस स्मार्ट मीटर प्राइवेट लिमिटेड** के कर्मचारियों ने पुराने मीटरों की रीडिंग को या तो शून्य कर दिया या फिर लेजर से क्षतिग्रस्त कर दिया। इस वजह से बिजली विभाग उपभोक्ताओं से पुराना बिल वसूल नहीं पा रहा है। यही नहीं, पुराने मीटरों को भी कंपनी ने विभाग को वापस नहीं किया है, जो कि विभाग की संपत्ति हैं।
मध्यांचल निगम के वाणिज्य निदेशक **योगेश कुमार** ने बताया कि सिर्फ सीतापुर में ही 443 पुराने मीटर गायब हैं, जिससे लाखों रुपये का राजस्व नुकसान हुआ है। यह घोटाला इतना बड़ा है कि अब गोंडा और बलरामपुर जैसे जिलों में भी एफआईआर दर्ज कराने की तैयारी चल रही है, जहां सैकड़ों मीटरों के साथ ऐसी ही छेड़छाड़ की गई है।
### **उपभोक्ता भी हैं शामिल?**
विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष **अवधेश कुमार वर्मा** ने दावा किया है कि इस पूरे खेल में उपभोक्ताओं और कंपनी के कर्मचारियों के बीच मिलीभगत हुई है। उन्होंने कहा कि पैसों के लालच में पुराने बिल को शून्य किया गया होगा, जिससे उपभोक्ताओं का हजारों का बिल माफ हो गया। वर्मा का मानना है कि अगर इस मामले की गहराई से जांच की जाए, तो इसमें बिजली विभाग के अधिकारी भी फंस सकते हैं।
फिलहाल, इस पूरे घोटाले में नुकसान का सही आंकड़ा जानने के लिए पड़ताल जारी है। यह घटना दर्शाती है कि कैसे कुछ कंपनियां सरकारी परियोजनाओं में भी धोखाधड़ी कर रही हैं।