बेबाक चर्चा
देहरादून। समाज कल्याण विभाग की आदर्श आवासीय विद्यालय बनाने की महत्वाकांक्षी योजना सरकारी सिस्टम की बड़ी लापरवाही की भेंट चढ़ गई है। अधिकारियों ने पहले हरिद्वार में एक अनुपयुक्त भूमि का चयन कर उस पर एक करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि खर्च कर दी। जब यह समझ आया कि जमीन स्कूल के लिए ठीक नहीं है, तो अब उसी विद्यालय के निर्माण के लिए 49 करोड़ रुपये की भारी-भरकम नई परियोजना को मंजूरी दे दी गई है। इस पूरी प्रक्रिया ने सरकारी राजस्व को हुए नुकसान और अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
क्या है पूरा मामला?
मामले की शुरुआत नवंबर 2013 में हुई, जब शासन ने समाज कल्याण निदेशक को हरिद्वार जिले के मक्खनपुर में अनुसूचित जाति के छात्र-छात्राओं के लिए कक्षा 1 से 12 तक का एक अंग्रेजी माध्यम का आदर्श आवासीय विद्यालय बनाने के लिए निर्देश दिए। इसके लिए भूमि चिह्नित करने और शुरुआती बजट का अनुमान भेजने को कहा गया।
अनुपयुक्त जमीन पर खर्च कर दिए 1 करोड़
भूमि चयन और अन्य प्रक्रियाओं के बाद विद्यालय निर्माण के लिए एक करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई। कार्यदायी एजेंसी (पेयजल निर्माण निगम) ने नवंबर 2016 तक मिट्टी भराई जैसे शुरुआती कामों पर यह पूरी राशि खर्च कर दी और इसका उपभोग प्रमाणपत्र भी विभाग को भेज दिया। सारी कवायद पूरी होने और पैसा खर्च होने के बाद सरकारी सिस्टम को यह बोध हुआ कि विद्यालय के लिए चुनी गई यह भूमि अच्छी और उपयुक्त नहीं है।
अब 49 करोड़ की नई वित्तीय स्वीकृति
लापरवाही के कारण पुरानी राशि बर्बाद होने के बाद अब राजकीय सुरेंद्र राकेश आदर्श आवासीय विद्यालय के भवन निर्माण के लिए एक नई विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार की गई। कार्यदायी संस्था ‘उत्तराखंड कृषि उत्पादन विपणन बोर्ड’ द्वारा बनाए गए नए आगणन के आधार पर शासन ने अब ₹49.02 करोड़ (4902 लाख) की भारी-भरकम प्रशासकीय और वित्तीय स्वीकृति प्रदान की है। यही नहीं, पहली किश्त के तौर पर ₹19.60 करोड़ की राशि शर्तों के साथ जारी भी कर दी गई है।
फिलहाल यह विद्यालय भगवानपुर में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के एक भवन में अस्थायी रूप से संचालित हो रहा है।