बेबाक चर्चा
जाने-माने उद्योगपति अनिल अंबानी आज ₹17,000 करोड़ रुपये के कथित ऋण धोखाधड़ी मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) के समक्ष पेश हुए। केंद्रीय जांच एजेंसी धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत उनका बयान दर्ज कर रही है। इससे पहले ईडी ने 1 अगस्त को समन जारी कर उन्हें दिल्ली स्थित मुख्यालय में पेश होने का निर्देश दिया था।
यह कार्रवाई पिछले महीने ईडी द्वारा की गई एक बड़ी छापेमारी के बाद हुई है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, 24 जुलाई को शुरू हुई यह छापेमारी तीन दिनों तक चली थी, जिसके तहत अनिल अंबानी समूह से जुड़ी कंपनियों और अधिकारियों के मुंबई स्थित 35 से अधिक ठिकानों पर तलाशी ली गई थी। ये परिसर लगभग 50 कंपनियों और 25 व्यक्तियों से संबंधित थे।
क्या है पूरा मामला?
जांच का मुख्य केंद्र अनिल अंबानी की कंपनियों द्वारा लिए गए विशाल ऋण और उनके कथित दुरुपयोग से जुड़ा है। ईडी इस बात की जांच कर रही है कि कहीं ₹17,000 करोड़ से अधिक के सामूहिक ऋण को उन कार्यों के अलावा किसी और काम में तो इस्तेमाल नहीं किया गया, जिनके लिए वह लिया गया था। ईडी सूत्रों के मुताबिक, जांच विशेष रूप से 2017-2019 के बीच यस बैंक से अंबानी की कंपनियों को मिले लगभग ₹3,000 करोड़ रुपये के ऋण के कथित हेरफेर पर केंद्रित है।
देश छोड़ने पर भी लगी है रोक
मामले की गंभीरता को देखते हुए ईडी ने उद्योगपति अनिल अंबानी के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर (LOC) भी जारी किया हुआ है। इस सर्कुलर के तहत, वह जांच अधिकारी या अदालत की अनुमति के बिना भारत नहीं छोड़ सकते। यह कदम केंद्रीय एजेंसी ने यह सुनिश्चित करने के लिए उठाया है कि वह जांच के लिए उपलब्ध रहें।