रुद्रपुर। बेबाक चर्चा
‘इस कदर वाकिफ है मेरी कलम मेरे जज्बातों से,
‘अगर मैं इश्क लिखना भी चाहूं तो इंकलाब लिख जाता है‘।
दो पंक्तियों में अपने जीवन का सार लिखने वाले शहीद भगत सिंह का नाम हमेशा आजादी के गीत के रूप में गुनगुनाया जाता है। लेकिन लगता है उनकी मूर्ति की स्थापना का कार्य सरकारी फाइलों में कैद होकर रह गया है।
सरदार उधम सिंह की पावन धरती में रुद्रपुर के मुख्य बाजार में भगत सिंह चौक स्थल मात्र पता बताने की एक सहूलियत बन के रह गया है। रुद्रपुर मुख्य बाजार में शहीद भगत सिंह चौक है, मूर्ति के लिए पर्याप्त जगह है लेकिन तांबे की एक मूर्ति आकार नही ले पा रही है।
भगत सिंह चौक की दुर्दशा के विरोध के बाद 20 लाख रूपये की लागत से मुख्य बाजार में 6 महीने पहले भगत सिंह चौक पर निर्माण कार्य किया गया था। निर्माण कार्य के साथ चौक में शहीद भगत की मूर्ति स्थापित करने का आश्वासन दिया गया था। सांस्कृतिक विभाग को मूर्ति की स्थापना का जिम्मा सौंपा गया था। 28 सितंबर भगत सिंह की जयंती तक मूर्ति लगाने की समय सीमा तय की गई थी। वर्तमान समय तक मूर्ति ना लगने से सांस्कृतिक विभाग की लापरवाही साफ नजर आ रही है। मुख्य बाजार के व्यापारियों का कहना है कि सांस्कृतिक विभाग ने भगत सिंह की शहीद दिवस तक मूर्ति की स्थापना नही की तो वह स्वंय स्थल पर मूर्ति स्थापित करेंगे।