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उत्तरकाशी के आपदाग्रस्त धराली क्षेत्र के प्रभावितों को राहत देने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने त्वरित सहायता की घोषणा की है। सरकार आपदा में पूरी तरह से ध्वस्त हुए मकानों के पुनर्निर्माण के लिए पांच लाख रुपये की फौरी सहायता देगी। इसके साथ ही, आपदा में जान गंवाने वाले मृतकों के परिजनों को भी पांच लाख रुपये की मुआवजा राशि प्रदान की जाएगी। प्रभावितों के स्थायी पुनर्वास और आजीविका सुनिश्चित करने के लिए शासन ने तीन सदस्यीय समिति का भी गठन किया है।
शनिवार को उत्तरकाशी के आपदा प्रभावित क्षेत्रों धराली, सैंजी और बांकुड़ा का दौरा कर लौटने के बाद मुख्यमंत्री धामी ने यह घोषणाएं कीं। उन्होंने कहा कि इस कठिन समय में राज्य सरकार हर प्रभावित नागरिक के साथ खड़ी है और उन्हें हरसंभव मदद मुहैया कराएगी। मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि राहत और पुनर्वास की कार्रवाई को शासन स्तर पर तेजी से और प्रभावशाली ढंग से लागू किया जाएगा।
पुनर्वास के लिए सचिव राजस्व की अध्यक्षता में समिति गठित
मुख्यमंत्री की घोषणा पर अमल करते हुए शासन ने सचिव राजस्व डॉ. सुरेंद्र नारायण की अध्यक्षता में एक तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है। इस समिति में यूकाडा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी आशीष कुमार चौहान और अपर सचिव वित्त हिमांशु खुराना को सदस्य के रूप में शामिल किया गया है। यह समिति प्रभावितों के पुनर्वास और उनकी आजीविका को फिर से मजबूत करने के लिए एक सप्ताह के भीतर अपनी विस्तृत रिपोर्ट शासन को सौंपेगी। समिति का मुख्य उद्देश्य धराली गांव के भविष्य के लिए एक दीर्घकालिक और प्रभावी नीति का खाका तैयार करना है, ताकि स्थानीय समुदाय की सुरक्षा और आजीविका को स्थायी रूप से सुनिश्चित किया जा सके।
अगले दो-तीन दिन में शुरू होगा मुआवजा वितरण
मुख्यमंत्री धामी ने बताया कि धराली आपदा क्षेत्र में मकान, जमीन, खेती और अन्य संपत्तियों के नुकसान का आकलन शुरू हो चुका है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि अगले दो से तीन दिनों के भीतर मुआवजे का वितरण शुरू कर दिया जाए।
पांच दिन बाद बिजली आपूर्ति बहाल
आपदा के पांच दिन बाद हर्षिल और धराली में बिजली आपूर्ति बहाल कर दी गई है। यूपीसीएल की टीमों ने युद्धस्तर पर काम करते हुए आपदाग्रस्त क्षेत्रों तक बिजली पहुंचाई, जिससे शनिवार को पहली बार धराली के घरों में रोशनी लौटी।
मलबे में दबे लोगों की तलाश के लिए जीपीआर रडार का उपयोग
धराली में राहत और बचाव अभियान को और प्रभावी बनाने के लिए सरकार ने हैदराबाद स्थित नेशनल जियो-फिजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (NGRI) से ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (GPR) मंगवाया है। इस उन्नत तकनीक की मदद से मलबे के नीचे दबे लोगों का पता लगाना आसान हो जाएगा, जिससे सर्च ऑपरेशन में तेजी आने की उम्मीद है।