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सूरत में हीरा कारोबार की आड़ में मनी लॉन्ड्रिंग का भंडाफोड़, ED ने जब्त किए 204 करोड़ के हीरे

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बेबाक चर्चा  

 

लैब में बने हीरे बताकर विदेश भेजे जा रहे थे असली बेशकीमती हीरे, SEZ नियमों का उठाया फायदा

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गुजरात के सूरत में एक बड़े मनी लॉन्ड्रिंग रैकेट का पर्दाफाश करते हुए 204.62 करोड़ रुपये मूल्य के प्राकृतिक और प्रयोगशाला में विकसित हीरे अनंतिम रूप से कुर्क किए हैं। यह कार्रवाई मेसर्स यूनिवर्सल जेम्स के मालिक मीत कछाड़िया के खिलाफ की गई है, जिस पर लैब में विकसित सस्ते हीरों की आड़ में बेशकीमती प्राकृतिक हीरे विदेश भेजकर काला धन जमा करने का आरोप है।

ईडी ने यह मामला राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI), सूरत द्वारा दर्ज की गई एक शिकायत के आधार पर शुरू किया था। डीआरआई को खुफिया जानकारी मिली थी कि सूरत विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ), सचिन में स्थित मेसर्स यूनिवर्सल जेम्स, एसईजेड संस्थाओं को मिलने वाली सुविधाओं का दुरुपयोग करके एक बड़े घोटाले को अंजाम दे रही है।

ऐसे हुआ धोखाधड़ी का खुलासा

जांच में सामने आया कि आरोपी ने दो निर्यात खेपों के माध्यम से इस धोखाधड़ी को अंजाम देने की कोशिश की। इन खेपों में माल को ‘लैब में विकसित हीरा’ घोषित किया गया था, जिनकी कीमत केवल 2.93 करोड़ रुपये बताई गई थी।

हालांकि, जब कस्टम अधिकारियों ने इन खेपों की भौतिक जांच की, तो वे यह देखकर हैरान रह गए कि अंदर प्राकृतिक रूप से कटे और पॉलिश किए गए असली हीरे थे, जिनका वास्तविक अंतरराष्ट्रीय मूल्य 204.62 करोड़ रुपये था। इस घोर गलत घोषणा के कारण माल को सीमा शुल्क अधिनियम के तहत तुरंत जब्त कर लिया गया।

 

मकसद था काला धन विदेश भेजना

ईडी के अनुसार, मीत कछाड़िया कोई वैध हीरा व्यवसाय नहीं कर रहा था, बल्कि उसका एकमात्र मकसद प्राकृतिक हीरों के रूप में अपने काले धन/बेहिसाब नकदी को गलत तरीके से निर्यात कर भारत के बाहर जमा करना था। उसने इस पूरी साजिश को अंजाम देने के लिए अपनी फर्म और एसईजेड के नियमों का दुरुपयोग किया।

ईडी ने अब इन हीरों को धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 के तहत अपराध की आय के रूप में कुर्क कर लिया है और मामले में आगे की जांच जारी है।

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