बेबाक चर्चा
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने सहारा समूह के खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत बड़ी कार्रवाई की है। कोलकाता जोनल कार्यालय ने 11 अगस्त, 2025 को गाजियाबाद, लखनऊ, श्रीगंगानगर और मुंबई में सहारा समूह से जुड़े 9 परिसरों पर छापा मारा। यह छापेमारी विभिन्न भूमि और शेयर लेनदेन से संबंधित है।
कैसे शुरू हुई जांच?
ED ने यह जांच ओडिशा, बिहार और राजस्थान में सहारा समूह की कंपनियों, जैसे मेसर्स हमारा इंडिया क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड (HICCSL) और अन्य के खिलाफ दर्ज तीन FIR के आधार पर शुरू की। सहारा समूह के खिलाफ 500 से ज्यादा FIR दर्ज हैं, जिनमें से 300 से अधिक PMLA के तहत अपराधों से जुड़ी हैं।
पोंजी स्कीम का आरोप
ED की जांच में सामने आया है कि सहारा समूह HICCSL, SCCSL, SUMCS, SMCSL जैसी संस्थाओं के माध्यम से एक पोंजी स्कीम चला रहा था। ये कंपनियां जमाकर्ताओं और एजेंटों को ऊंचे रिटर्न का लालच देकर पैसे जमा करवाती थीं। इन पैसों का प्रबंधन अनियमित तरीके से किया गया और परिपक्वता राशि का भुगतान नहीं किया गया। इसके बजाय, जमाकर्ताओं पर दबाव डालकर या गुमराह करके पैसे दोबारा निवेश करवाए गए।
आरोप है कि समूह ने अपनी वित्तीय अक्षमता को छिपाने के लिए खातों में हेराफेरी की और नई जमा राशि लेता रहा। इस पैसे का कुछ हिस्सा संदिग्ध शेयर लेनदेन, बेनामी संपत्ति बनाने और व्यक्तिगत खर्चों में इस्तेमाल किया गया। समूह ने अपनी कुछ संपत्तियां आंशिक नकद भुगतान पर भी बेचीं, जिससे जमाकर्ताओं के वैध दावों को और भी नुकसान पहुँचा।
गिरफ्तारियां और कुर्की
छापेमारी के दौरान ED ने कई आपत्तिजनक दस्तावेज और रिकॉर्ड जब्त किए और प्रमुख व्यक्तियों के बयान भी दर्ज किए हैं। इससे पहले, ED इस मामले में तीन कुर्की आदेश जारी कर चुकी है, जिसमें एम्बी वैली और सहारा प्राइम सिटी की जमीनें शामिल हैं, जिनकी अनुमानित कीमत हजारों करोड़ रुपये है।
ED ने इस मामले में पहले ही सहारा समूह के कार्यकारी निदेशक अनिल वैलापरम्पिल अब्राहम और संपत्ति दलाल जितेंद्र प्रसाद वर्मा को गिरफ्तार किया था, जो अभी भी न्यायिक हिरासत में हैं।