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गाजियाबाद: ‘प्लॉट’ कोडवर्ड से होता था मासूमों का सौदा, नेपाल तक फैले बच्चा चोर गैंग का भंडाफोड़, 4 गिरफ्तार

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बेबाक चर्चा  

 

गाजियाबाद। गाजियाबाद की ट्रॉनिका सिटी थाना पुलिस ने एक ऐसे अंतरराज्यीय बच्चा चोर गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जिसके तार गाजियाबाद से लेकर उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और नेपाल तक फैले हैं। यह गैंग सोशल मीडिया पर ‘प्लॉट’ जैसे कोडवर्ड का इस्तेमाल कर मासूम बच्चों का सौदा करता था। पुलिस ने एक साल के बच्चे के अपहरण के मामले की जांच करते हुए गैंग के चार सदस्यों को गिरफ्तार किया है।

इस हाई-प्रोफाइल रैकेट में निजी अस्पतालों के डॉक्टर, नर्स, आशा वर्कर और मैरिज ब्यूरो चलाने वाली महिलाएं भी शामिल हैं, जो इस घिनौने कारोबार को अंजाम देने में मदद करती थीं।

चार घंटे में मासूम को छुड़ाया, चार आरोपी दबोचे

मामले का खुलासा तब हुआ जब बीते 4 अगस्त को ट्रॉनिका सिटी की पूजा कॉलोनी से एक वर्षीय मासूम फारिस का दिनदहाड़े अपहरण कर लिया गया। परिवार की सूचना पर पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए महज चार घंटे के भीतर बच्चे को सकुशल बरामद कर लिया। पुलिस को देख आरोपी बच्चे को सड़क पर छोड़कर भागने लगे, लेकिन उनकी यह हरकत सीसीटीवी में कैद हो गई।

फुटेज के आधार पर पुलिस ने लोनी के खड़खड़ी स्टेशन के पास से चार आरोपियों की पहचान कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया। इनकी पहचान नावेद (लोनी), अफसर अली (लोनी), स्वाति उर्फ साइस्ता (शामली), और संध्या (मुजफ्फरनगर) के रूप में हुई है।

सावन में काम बंद हुआ तो रची अपहरण की साजिश

पूछताछ में दिल दहला देने वाली कहानी सामने आई। मुख्य आरोपी अफसर अली, जो मीट की दुकान पर काम करता था, सावन में दुकान बंद होने से आर्थिक तंगी से गुजर रहा था। उसने अपने दोस्त नावेद के साथ मिलकर पैसे कमाने के लिए अपने ही पड़ोसी राशिद के बेटे फारिस के अपहरण की योजना बनाई। अफसर ऐसे गैंग को जानता था जो बच्चों की खरीद-फरोख्त करते थे।

व्हाट्सएप पर फोटो भेजकर तय हुआ डेढ़ लाख का सौदा

आरोपियों ने शामली और मुजफ्फरनगर में मैरिज ब्यूरो चलाने वाली स्वाति और संध्या से संपर्क किया। इन महिलाओं ने बच्चे का फोटो व्हाट्सएप पर मंगवाया और खरीदार ढूंढना शुरू किया। पहले मुरादाबाद में एक नर्स के जरिए निसंतान दंपति से ढाई लाख में सौदा तय हुआ, लेकिन खरीदारों ने कुछ दिन रुकने को कहा। इसके बाद गैंग ने अमरोहा के एक निसंतान दंपति से डेढ़ लाख रुपये में सौदा पक्का कर लिया। लेकिन इससे पहले कि वे बच्चे को बेच पाते, पुलिस ने उन्हें दबोच लिया।

रंग देखकर तय होती थी कीमत, रुड़की-नेपाल तक नेटवर्क

एसीपी ने बताया कि यह गैंग ऑन डिमांड बच्चों का अपहरण करता था। सोशल मीडिया पर बच्चों को ‘प्लॉट’ कहकर संबोधित किया जाता था। बच्चे के रंग और लिंग के आधार पर कीमत तय होती थी। गोरे रंग के लड़के की कीमत तीन से पांच लाख रुपये तक, जबकि सांवले बच्चों या लड़कियों का सौदा पचास हजार से एक लाख रुपये में होता था।

पुलिस के अनुसार, इस गिरोह का नेटवर्क दिल्ली, बिजनौर, मुरादाबाद, रुड़की, अमरोहा, जम्मू-कश्मीर और नेपाल तक फैला है। पुलिस ने कुछ और सदस्यों को चिह्नित किया है और उनकी गिरफ्तारी के लिए दबिश दी जा रही है, ताकि इस पूरे नेटवर्क को ध्वस्त किया जा सके।

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