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स्वास्थ्य विभाग का बड़ा कदम: फेल हुई एंटीबायोटिक दवा, छह केमिस्टों का स्टॉक सील

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बेबाक चर्चा  

 

बनीखेत, हिमाचल प्रदेश: बरसात के मौसम में बीमारियों से लड़ने में सहायक मानी जाने वाली एक लोकप्रिय एंटीबायोटिक दवा की गुणवत्ता पर सवाल उठ गए हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा हाल ही में की गई जांच में यह दवा मानकों पर खरी नहीं उतरी, जिसके बाद विभाग ने तत्काल और कड़े कदम उठाए हैं। इस कार्रवाई के तहत, इस दवा को बेचने वाले छह प्रमुख केमिस्टों की दुकानों पर रखे गए सारे स्टॉक को सील कर दिया गया है। विभाग ने सभी दवा विक्रेताओं को सख्त निर्देश दिए हैं कि वे किसी भी सूरत में इस दवा की बिक्री न करें।

कैसे हुआ खुलासा?

 

पूरे मामले का खुलासा तब हुआ जब कुछ दिन पहले स्वास्थ्य विभाग की एक टीम ने बनीखेत के एक निजी दवा विक्रेता की दुकान से अमोक्सीसिलिन क्लोक्सासिलिन एंड लैक्टिक एसिड बेसिलस कैप्सूल का एक सैंपल लिया। यह दवा, जिसका बैच नंबर सीबी 24056है और जिसका निर्माण जुलाई 2024 में हुआ था, वायरल फीवर जैसे संक्रमणों के इलाज में चिकित्सकों द्वारा बड़े पैमाने पर लिखी जा रही थी।

जांच के लिए सैंपल को विभाग की प्रयोगशाला में भेजा गया। वहां गहन परीक्षण के बाद, गुणवत्ता रिपोर्ट चौंकाने वाली निकली: दवा मानकों के अनुरूप नहीं थी, यानी यह फेल हो गई थी।

तेजी से हुई कार्रवाई, कंपनी को नोटिस जारी

 

रिपोर्ट मिलते ही स्वास्थ्य विभाग ने बिना कोई समय गंवाए कार्रवाई शुरू कर दी। सबसे पहले, उस दवा विक्रेता के बचे हुए स्टॉक को सील किया गया, जिसकी दुकान से सैंपल लिया गया था। इसके बाद, विभाग ने जानकारी जुटाई कि यह दवा जिले के किन-किन अन्य केमिस्टों के पास उपलब्ध है। प्राप्त जानकारी के आधार पर, टीम ने तुरंत अन्य पांच केमिस्टों की दुकानों पर भी दबिश दी और उनके पास मौजूद इस दवा के सभी स्टॉक को सील कर दिया।

इस मामले में, हिमाचल प्रदेश के सहायक राज्य दवा नियंत्रक, निशांत सरीन ने जानकारी दी कि “एंटीबायोटिक दवा का सैंपल फेल निकला है।” उन्होंने बताया कि “स्टॉक को सील कर दिया गया है और दवा निर्माण करने वाली कंपनी को नोटिस जारी कर दिया गया है।” यह दवा हरियाणा की एक कंपनी द्वारा बनाई गई थी।

इसके साथ ही, हरियाणा के राज्य दवा नियंत्रक को भी इस मामले की सूचना दी गई है, ताकि राज्य स्तर पर भी इस दवा की बिक्री पर रोक लगाई जा सके और आगे की कार्रवाई की जा सके।

आगे क्या?

 

निशांत सरीन ने स्पष्ट किया कि कंपनी को अपनी दवा की गुणवत्ता रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है। जब तक कंपनी अपनी रिपोर्ट जमा नहीं करती, तब तक वह इस दवा को बाजार में नहीं बेच पाएगी। उन्होंने कहा, “कंपनी से जवाब आने पर आगामी कार्रवाई की जाएगी।”

इस घटना ने एक बार फिर दवाओं की गुणवत्ता नियंत्रण पर सवाल खड़ा कर दिया है। यह न सिर्फ दवा विक्रेताओं के लिए एक चेतावनी है, बल्कि उन मरीजों के लिए भी एक चिंता का विषय है जो इन दवाओं पर भरोसा करते हैं। स्वास्थ्य विभाग की यह कार्रवाई घटिया और नकली दवाओं के खिलाफ एक बड़ा संदेश देती है और उम्मीद की जाती है कि भविष्य में भी ऐसी जांच जारी रहेगी।

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