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उत्तरकाशी, 7 अगस्त, 2025: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले की हर्षिल घाटी के धराली में मंगलवार को बादल फटने से भीषण तबाही मची है। इस आपदा में अब तक छह लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि सेना के 10 जवानों समेत 20 लोग अभी भी लापता हैं। बुधवार को मौसम खुलने के बाद सेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमों ने बचाव अभियान तेज कर दिया है।
राहत और बचाव कार्य में तेजी
गुरुवार सुबह से ही बचाव अभियान पूरी तेजी से चल रहा है। खराब मौसम और टूटे रास्तों के कारण घटनास्थल पर पहुंचने में हो रही दिक्कतों के बाद बचाव दलों और राहत सामग्री को हेलीकॉप्टर के जरिए पहुंचाया जा रहा है।
- चिनूक हेलीकॉप्टर की लैंडिंग: गुरुवार सुबह 11:36 बजे, भारतीय वायुसेना का एक चिनूक हेलीकॉप्टर एनडीआरएफ के जवानों, उपकरणों और अन्य आवश्यक सामग्री के साथ हर्षिल में उतरा, जिससे बचाव कार्यों को और गति मिली।
- लोगों को किया गया एयरलिफ्ट: सुबह 9:30 बजे तक, आईटीबीपी ने 44 लोगों को हेलीकॉप्टर से मातली पहुंचाया। कुल मिलाकर 65 लोगों को रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थानों पर भेज दिया गया है। दो घायल सैन्य जवानों को भी बेहतर इलाज के लिए हेलीकॉप्टर से हायर सेंटर भेजा गया है।
- सीएम धामी ने की समीक्षा: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी स्वयं मातली हेलीपैड पर मौजूद रहकर राहत कार्यों की निगरानी कर रहे हैं। उन्होंने धराली से निकाले गए लोगों से मुलाकात की और बचाव दलों का हौसला बढ़ाया। सीएम धामी ने अधिकारियों को सड़क, संचार, बिजली और पेयजल आपूर्ति को जल्द से जल्द बहाल करने के सख्त निर्देश दिए हैं।
गंगोत्री हाईवे बुरी तरह क्षतिग्रस्त, भागीरथी पर बनी झील
आपदा के कारण गंगोत्री हाईवे जगह-जगह भूस्खलन और सैलाब की वजह से बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है। कई स्थानों पर सड़क का 100 मीटर से ज्यादा हिस्सा धंस गया है, जिससे पैदल आवाजाही भी मुश्किल हो गई है।
तैलगाड गदेरे से आए भारी मलबे के कारण भागीरथी नदी का प्रवाह बाधित हो गया और वहां लगभग 1200 मीटर लंबी और 100 मीटर चौड़ी एक झील बन गई है। हालांकि, सिंचाई विभाग की टीम ने निरीक्षण के बाद बताया है कि झील से पानी की निकासी स्वाभाविक रूप से हो रही है और चिंता की कोई बात नहीं है। रास्ता खुलने पर पोकलेन मशीनों से मलबे को हटाने की योजना बनाई गई है।
आपदा के कारणों का होगा अध्ययन
देहरादून स्थित वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान ने इस विनाशकारी आपदा के कारणों का अध्ययन करने का फैसला किया है। स्थिति सामान्य होने पर संस्थान के वैज्ञानिकों की एक टीम मौके पर जाकर आपदा के तकनीकी और भूवैज्ञानिक कारणों का पता लगाएगी।
स्थानीय प्रशासन, सेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और स्थानीय लोग मिलकर लापता लोगों की तलाश में जुटे हुए हैं। भूस्खलन के खतरे को देखते हुए भटवाड़ी से आगे के लगभग एक दर्जन मकानों को भी खाली करा लिया गया है।