बेबाक चर्चा
खटीमा: एलडी भट्ट राजकीय उप जिला चिकित्सालय में कोरोना काल के दौरान बना महत्वाकांक्षी आईसीयू वार्ड पिछले साढ़े चार साल से मरीजों का इंतजार कर रहा है। करोड़ों की लागत से लगे उपकरण धूल फांक रहे हैं और गंभीर मरीजों को ‘रेफर’ करने की परंपरा बदस्तूर जारी है।
यह आईसीयू वार्ड 16 नवंबर 2020 को तत्कालीन महानिदेशक डॉ. अमिता उप्रेती द्वारा धूम-धड़ाके से उद्घाटन किया गया था। तब कहा गया था कि यह गंभीर मरीजों के लिए जीवन रेखा साबित होगा, लेकिन आज तक यहां ताला लटका हुआ है। उद्घाटन के समय स्टाफ की तैनाती के निर्देश दिए गए थे, लेकिन 4 साल बाद भी ये निर्देश सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह गए हैं।
क्या-क्या है गायब?
इस आईसीयू को चलाने के लिए फिजिशियन, निश्चेतक और स्टाफ नर्स जैसे विशेषज्ञ स्टाफ की जरूरत होती है। यही वो स्टाफ है जो ऑपरेशन के बाद बिगड़ी हालत वाले, जहरीला पदार्थ खाकर आए या अन्य गंभीर मरीजों को जीवनदान देता है। इन पदों पर आज तक कोई तैनाती नहीं हो पाई है।
सीएमओ का वही पुराना राग
जब इस बारे में ऊधमसिंह नगर के सीएमओ डॉ. केके अग्रवाल से सवाल किया गया तो उनका जवाब भी पुराना और घिसा-पिटा था। उन्होंने कहा, “मरीजों की आवश्यकता को देखते हुए आईसीयू वार्ड शीघ्र शुरू कराया जाएगा।” सवाल यह है कि यह ‘शीघ्र’ कब आएगा? क्या किसी बड़े हादसे का इंतजार किया जा रहा है? जब करोड़ों के उपकरण लग चुके हैं तो स्टाफ की व्यवस्था क्यों नहीं की जा रही है? यह सवाल आम जनता के मन में कौंध रहा है और स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है।