बेबाक चर्चा
हर 12 दिन में करेगी पूरी पृथ्वी की ‘हेल्थ मैपिंग’, भूकंप, बाढ़ और सूखे की मिलेगी पहले से जानकारी
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के साथ अपने अब तक के सबसे महत्वाकांक्षी संयुक्त मिशन को सफलतापूर्वक अंजाम दे दिया है। बुधवार शाम 5:40 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से पृथ्वी अवलोकन उपग्रह निसार (NISAR – NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) को GSLV-F16 रॉकेट द्वारा सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया। यह ऐतिहासिक मिशन पृथ्वी की सतह पर होने वाले सूक्ष्म बदलावों पर अभूतपूर्व सटीकता से नजर रखकर जलवायु परिवर्तन, आपदा प्रबंधन और कृषि जैसे क्षेत्रों में क्रांति लाएगा।
लगभग 19 मिनट की सफल उड़ान के बाद जीएसएलवी रॉकेट ने निसार उपग्रह को 745 किलोमीटर की ऊंचाई पर उसकी निर्धारित सूर्य-तुल्यकालिक ध्रुवीय कक्षा (Sun-Synchronous Polar Orbit) में सटीकता से स्थापित कर दिया। यह पहली बार है जब किसी जीएसएलवी रॉकेट का इस्तेमाल उपग्रह को इस विशेष कक्षा में स्थापित करने के लिए किया गया है।
दोहरी फ्रीक्वेंसी वाली दुनिया की पहली ‘आंख’
निसार दुनिया का पहला ऐसा उपग्रह है जो दो अलग-अलग रडार फ्रीक्वेंसी (एल-बैंड और एस-बैंड) का उपयोग करता है। इसमें लगा एल-बैंड सिंथेटिक अपर्चर रडार (SAR) नासा द्वारा बनाया गया है, जबकि एस-बैंड रडार इसरो ने अहमदाबाद स्थित अपनी लैब में विकसित किया है। यह डुअल-बैंड क्षमता निसार को बादलों, अंधेरे और घने जंगलों के पार भी देखने की अभूतपूर्व शक्ति प्रदान करती है।
हर 12 दिन में पृथ्वी का पूरा स्कैन
यह उपग्रह हर 12 दिनों में पूरी पृथ्वी का एक विस्तृत नक्शा तैयार करेगा और दिन-रात, हर मौसम में हाई-रिजॉल्यूशन डेटा भेजेगा। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह पृथ्वी की सतह पर होने वाले सेंटीमीटर जितने छोटे बदलावों, जैसे जमीन का धंसना, बर्फ की चादर का खिसकना या भूकंप से आई हल्की दरारों का भी पता लगा सकता है।
मिशन के प्रमुख उद्देश्य और लाभ:
- आपदा प्रबंधन: भूकंप, भूस्खलन और ज्वालामुखी जैसी प्राकृतिक आपदाओं की पूर्व-चेतावनी और निगरानी में मदद करेगा।
- जलवायु परिवर्तन: ग्लेशियरों के पिघलने, समुद्र के स्तर में वृद्धि और वनों की कटाई पर सटीक डेटा प्रदान करेगा।
- कृषि: मिट्टी की नमी का विश्लेषण कर किसानों को फसल प्रबंधन में मदद करेगा, जिससे पैदावार बढ़ेगी।
- संसाधन मानचित्रण: सतह पर मौजूद जल संसाधनों और पारिस्थितिकी तंत्र की निगरानी करेगा।
इसरो के अनुसार, मिशन से प्राप्त अधिकांश डेटा ओपन-सोर्स के रूप में दुनिया भर के वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और सरकारों के लिए उपलब्ध कराया जाएगा, जिससे वैश्विक स्तर पर वैज्ञानिक प्रगति को बढ़ावा मिलेगा। यह मिशन एक दशक से भी अधिक समय से चल रहे भारत-अमेरिका के अंतरिक्ष सहयोग में एक मील का पत्थर है।