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साइबर फ्रॉड का बड़ा खुलासा: JDU के युवा नेता के खाते में मिले 7 करोड़, EOU ने सुपौल से किया गिरफ्तार

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बेबाक चर्चा  

बिहार की आर्थिक अपराध इकाई (EOU) ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड (JDU) के एक युवा नेता को करोड़ों की साइबर ठगी के आरोप में गिरफ्तार किया है। आरोपी हर्षित मिश्रा JDU युवा मोर्चा का प्रदेश पदाधिकारी है। EOU ने उसके एक बैंक खाते में 7 करोड़ रुपये की भारी-भरकम राशि का पता लगाया है, जिसके बाद सुपौल स्थित उसके गांव से उसे गिरफ्तार किया गया।

19 घंटे चली छापेमारी, साइबर उपकरण बरामद

EOU पटना की एक बड़ी टीम ने, जिसमें लगभग 25 से 30 अधिकारी शामिल थे, शनिवार दोपहर को सुपौल जिले के करजाइन थाना क्षेत्र के गोसपुर गांव में छापा मारा। यह कार्रवाई करीब 19 घंटे तक चली। इस दौरान हर्षित मिश्रा के घर से साइबर अपराध में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों का जखीरा बरामद हुआ, जिसमें शामिल हैं:

  • एक साथ दर्जनों सिम लगाने वाला गैजेट
  • सैकड़ों की संख्या में सिम कार्ड
  • दर्जनों मोबाइल फोन और लैपटॉप
  • बायोमेट्रिक डिवाइस
  • नोट गिनने की मशीन

अधिकारियों ने उस मोबाइल और लैपटॉप को भी जब्त कर लिया है जो उस बैंक खाते से जुड़ा था जिसमें 7 करोड़ रुपये जमा थे। इसी खाते को साइबर पुलिस द्वारा पहले ही फ्रीज कर दिया गया था, जो इस पूरी कार्रवाई का मुख्य आधार बना।

किसान का बेटा, आलीशान जीवनशैली और राजनीतिक रसूख

27 वर्षीय हर्षित मिश्रा एक किसान परिवार से है। उसके दादा गांव के मुखिया रह चुके हैं। ग्रामीणों के मुताबिक, उसने तीन साल पहले अपने पिता से शेयर ट्रेडिंग के नाम पर जमीन बिकवाकर पैसे लिए थे। इसके बाद उसकी जीवनशैली पूरी तरह बदल गई। वह स्कॉर्पियो गाड़ी पर घूमता था और अपने साथ दो बाउंसर भी रखता था।

हर्षित पहले भाजपा का कार्यकर्ता था, लेकिन करीब तीन महीने पहले ही वह JDU में शामिल हुआ और उसे युवा JDU का प्रदेश सचिव बना दिया गया। उसने अपने रसूख का इस्तेमाल कर सरकारी बॉडीगार्ड की भी मांग की थी, लेकिन उसका आवेदन जांच के बाद खारिज कर दिया गया था।

पिता ने कहा- बेटे को राजनीतिक साजिश के तहत फंसाया गया

इस कार्रवाई के बाद हर्षित के पिता विकास मिश्र ने मीडिया से कहा कि उनका बेटा निर्दोष है और उसे राजनीतिक साजिश के तहत फंसाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि हर्षित गांव में रहकर रियल एस्टेट का कारोबार और राजनीति करता था। वहीं, स्थानीय थानाध्यक्ष ने बताया कि हर्षित का थाने में कोई पुराना आपराधिक रिकॉर्ड दर्ज नहीं है। EOU की टीम पूछताछ और कागजी कार्रवाई पूरी करने के बाद हर्षित को अपने साथ पटना ले गई है।

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