बेबाक चर्चा
**बरेली।** आगरा से बरेली तक फैले नकली दवाइयों के एक बड़े रैकेट का खुलासा हुआ है। आगरा से मिली जानकारी के आधार पर, बरेली के 17 थोक विक्रेताओं में से 12 पर नकली दवाएं बेचने का संदेह है। जांच शुरू होने से पहले ही कई विक्रेताओं ने संदिग्ध दवाओं का स्टॉक वापस भेज दिया या बाजार में खपा दिया। अब विभाग इन सभी फर्मों के पिछले दो साल के खरीद-बिक्री के रिकॉर्ड की जांच कर रहा है।
### **खुलासे से पहले ही खपाई गईं नकली दवाएं**
संयुक्त आयुक्त औषधि संदीप कुमार ने बताया कि आगरा से उन्हें 17 थोक मेडिकल स्टोरों की सूची मिली थी। जब टीम ने जांच शुरू की, तो 12 फर्मों के पास संदिग्ध दवाएं नहीं मिलीं। अधिकारियों का मानना है कि इन लोगों ने या तो दवाओं को बाजार में बेच दिया, या फिर आगरा के मुख्य सप्लायर ‘बंसल मेडिकोज’ को वापस कर दिया।
‘हैप्पी मेडिकोज’ नाम की एक फर्म भी दवाएं वापस भेजने की तैयारी में थी, लेकिन ट्रांसपोर्ट के जरिए जा रहा माल पकड़ लिया गया। हालांकि, जांच शुरू होने से पहले ही इस फर्म ने भी काफी मात्रा में नकली दवाएं ठिकाने लगा दी थीं।
### **GST विभाग से भी मांगी गई जानकारी**
नकली दवाओं के इस पूरे रैकेट का पर्दाफाश करने के लिए विभाग ने सभी 17 थोक विक्रेताओं से पिछले दो साल का खरीद-बिक्री का पूरा ब्योरा मांगा है। इसमें यह जांच की जाएगी कि उन्होंने कितनी दवाएं खरीदीं और कहां बेचीं, भुगतान कैसे किया गया, और अगर दवाएं वापस भेजी गईं, तो किस ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल हुआ।
इस मामले में राज्यकर विभाग (GST) से भी इन कारोबारियों का रिकॉर्ड मांगा गया है ताकि इस काले कारोबार के हर पहलू को उजागर किया जा सके। इसके अलावा, जिन खुदरा व्यापारियों ने इन थोक विक्रेताओं से दवाएं खरीदी हैं, उन्हें भी नोटिस भेजकर जानकारी मांगी जाएगी। औषधि निरीक्षक फिलहाल रैंडम तौर पर जांच कर रहे हैं।
आगरा से जिन फर्मों की सूची मिली है, उनमें वैष्णो इंटरप्राइजेज, लखनऊ ड्रग एजेंसी, शिवा मेडिकोज, हैप्पी मेडिकोज, किशोर मेडिकल एजेंसी, दुआ मेडिकल, जितेंद्र इंटरप्राइजेज, कोमल मेडिकोज, माधव मेडिकोज, साहनी मेडिकल, मुनीश फार्मा, सैनविक फार्मास्युटिकल्स, गुनीना फार्मास्युटिकल्स, हेल्थ फार्मास्युटिकल्स, जय बाबा की फार्मा और बरेली फार्मा शामिल हैं।