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भारत-नेपाल सीमा से सटे उत्तर प्रदेश के पीलीभीत के हजारा थाना क्षेत्र में सिख समुदाय के 3000 से अधिक लोगों के कथित तौर पर ईसाई धर्म में जबरन धर्मांतरण का मामला सामने आने के बाद तनाव बना हुआ है.

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बेबाक चर्चा 

नए जिलाधिकारी ज्ञानेंद्र सिंह ने चार्ज लेते ही इस मामले को गंभीरता से लिया और तत्काल जांच के आदेश दिए हैं.

ग्रामीणों का आरोप है कि नेपाली पादरी और अन्य राज्यों से आए लोग सरकारी योजनाओं का लाभ, मुफ्त इलाज और आर्थिक लालच देकर सिखों का धर्म परिवर्तन करा रहे हैं.

160 परिवारों की सूची सौंपी

स्थानीय सिख संगठनों और गुरुद्वारा कमेटी ने जिला प्रशासन को 160 परिवारों की सूची सौंपी, जिन्होंने कथित तौर पर सिख धर्म छोड़कर ईसाई धर्म अपनाया. एक पीड़ित महिला ने दावा किया कि उसके पति को जबरन ईसाई बनाया गया और उसके बच्चों पर भी धर्म परिवर्तन का दबाव बनाया जा रहा है. विरोध करने पर मारपीट की घटनाएं भी सामने आई हैं. हजारा पुलिस ने 8 नामजद और 40 से अधिक अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है.

गुरुद्वारा कमेटी का सख्त रुख

गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने धर्मांतरण करने वालों को गुरुद्वारे में प्रवेश पर रोक लगा दी है. कमेटी ने ‘घर वापसी’ अभियान शुरू किया है, जिसके तहत 180 परिवारों ने सिख धर्म में वापसी की. कमेटी का कहना है कि यह सुनियोजित साजिश विदेशी ताकतों और नेपाली पादरियों द्वारा गरीबी और अशिक्षा का फायदा उठाकर की जा रही है.

जमीन विवाद या धर्मांतरण?

कुछ ग्रामीणों का दावा है कि यह मामला जमीन बंटवारे के स्वामित्व विवाद से जुड़ा है, न कि जबरन धर्मांतरण से. उनका कहना है कि कुछ लोग भ्रम फैलाकर सिख समुदाय और प्रशासन को गुमराह कर रहे हैं. हालांकि, सिख संगठनों ने इसे सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान पर हमला बताया है.

पूर्व DM संजय कुमार सिंह के तबादले के बाद नए DM ज्ञानेंद्र सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि मामले की गंभीरता से जांच होगी. उत्तर प्रदेश धर्म स्वतंत्रता कानून के तहत दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी सीमावर्ती जिलों में सतर्कता बढ़ाने के निर्देश दिए हैं.

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