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बीजापुर, छत्तीसगढ़: छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में एक बार फिर नक्सली हिंसा का खौफनाक चेहरा सामने आया है। सोमवार को नक्सलियों द्वारा लगाए गए एक शक्तिशाली आईईडी (Improvised Explosive Device) विस्फोट में एक पुलिस जवान शहीद हो गया, जबकि तीन अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। यह घटना राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र में एक माओवाद विरोधी अभियान के दौरान हुई, जिसने क्षेत्र में सुरक्षा बलों के लिए लगातार बने खतरे को एक बार फिर उजागर कर दिया है।
विस्तारपूर्वक घटना का विवरण
यह घटना उस समय हुई जब बीजापुर डीआरजी (District Reserve Guard) की टीम राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र में माओवाद विरोधी अभियान चला रही थी। सुबह के समय, अचानक एक आईईडी में भीषण धमाका हुआ, जिसकी चपेट में आकर कई जवान घायल हो गए। इस विस्फोट में डीआरजी जवान दिनेश नाग ने अपनी जान गंवा दी।
बस्तर के पुलिस महानिरीक्षक (IG) पी. सुंदरराज ने इस दुखद घटना की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि इस हमले में तीन अन्य जवान भी घायल हुए हैं। प्राथमिक उपचार के बाद, सभी घायल जवानों को बेहतर इलाज के लिए तुरंत दूसरे अस्पताल में स्थानांतरित किया जा रहा है। आईजी सुंदरराज ने यह भी स्पष्ट किया कि सभी घायल जवानों की स्थिति खतरे से बाहर है, जो एक राहत की बात है।
नक्सली गतिविधियों में तेजी, सुरक्षा बलों की जवाबी कार्रवाई
इस हमले से कुछ दिन पहले, 14 अगस्त को छत्तीसगढ़ के मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी जिले में सुरक्षा बलों को एक बड़ी सफलता मिली थी। एक मुठभेड़ में सुरक्षा बलों ने 1.16 करोड़ रुपये के दो कुख्यात नक्सली कैडरों को मार गिराया था। मारे गए नक्सलियों की पहचान विजय रेड्डी और लोकेश सलामे के रूप में हुई थी। विजय रेड्डी दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी का सदस्य था, जिस पर 90 लाख रुपये का इनाम घोषित था, जबकि लोकेश सलामे राजनांदगांव-कांकेर बॉर्डर डिवीजन का सचिव था और उस पर 26 लाख रुपये का इनाम था।
छत्तीसगढ़ पुलिस, जिला रिजर्व गार्ड और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) की 27वीं बटालियन ने एक संयुक्त अभियान के दौरान 13 अगस्त को इन दोनों को मार गिराया था। आईटीबीपी के एक बयान के अनुसार, यह मुठभेड़ घने जंगलों में हुई, जब सुरक्षा बल इन दोनों की गतिविधियों पर नजर रख रहे थे। अधिकारियों ने बताया कि इन दोनों का मारा जाना दंडकारण्य क्षेत्र और राजनांदगांव-कांकेर सीमा पर नक्सली अभियानों के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। घटनास्थल से हथियार और अन्य नक्सली सामग्री भी बरामद की गई थी।
सुरक्षा चुनौतियाँ और आगे की रणनीति
यह आईईडी विस्फोट दर्शाता है कि बस्तर संभाग और आसपास के क्षेत्रों में नक्सली अभी भी सक्रिय हैं और सुरक्षा बलों के लिए एक बड़ा खतरा बने हुए हैं। नक्सलियों द्वारा लगाए गए ये आईईडी बम सुरक्षा अभियानों में सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक हैं। इस तरह के हमले न सिर्फ जवानों की जान लेते हैं, बल्कि माओवाद विरोधी अभियानों को भी प्रभावित करते हैं।
सुरक्षा विशेषज्ञ इस बात पर जोर दे रहे हैं कि ऐसे हमलों को रोकने के लिए खुफिया जानकारी और तकनीकी निगरानी को और मजबूत करने की जरूरत है। साथ ही, नक्सलियों की गतिविधियों को रोकने के लिए लगातार संयुक्त अभियान चलाए जाने चाहिए। इस दुखद घटना ने एक बार फिर छत्तीसगढ़ में माओवाद की समस्या को रेखांकित किया है, जहां सुरक्षा बल और नक्सली दशकों से आमने-सामने हैं। शहीद जवान को श्रद्धांजलि दी जा रही है और उसके परिवार के प्रति संवेदनाएं व्यक्त की गई हैं।