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नई दिल्ली: भारत सरकार ने अपनी नौसैनिक ताकत बढ़ाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। केंद्र ने 70 हजार करोड़ रुपये के महत्वाकांक्षी पनडुब्बी सौदे को मंजूरी दे दी है। इसके तहत जर्मनी के सहयोग से भारत में ही छह पनडुब्बियां तैयार की जाएंगी। यह फैसला चीन और पाकिस्तान की बढ़ती नौसैनिक शक्ति को देखते हुए लिया गया है।
रक्षा मंत्रालय-एमडीएल शुरू करेंगे बातचीत
यह सौदा प्रोजेक्ट 75 इंडिया का हिस्सा है। केंद्र सरकार ने इस प्रोजेक्ट के तहत छह पनडुब्बियों की खरीद के लिए रक्षा मंत्रालय और सरकारी कंपनी मझगांव डॉकयार्ड्स लिमिटेड (एमडीएल) को बातचीत शुरू करने की हरी झंडी दे दी है।
बताया जा रहा है कि इस महीने के अंत तक बातचीत शुरू हो जाएगी और अगले छह महीनों में अनुबंध को अंतिम रूप दिए जाने की उम्मीद है। ये पनडुब्बियां एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन सिस्टम (एआईपी) से लैस होंगी, जिससे वे पानी के भीतर तीन हफ्ते तक रह सकेंगी।
स्वदेशी क्षमता पर जोर
इस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य भारत में ही पनडुब्बियों के डिजाइन और निर्माण की स्वदेशी क्षमता को विकसित करना है। सरकार पनडुब्बी निर्माण प्रक्रिया में तेजी लाने के तरीके भी तलाश रही है। इसके साथ ही, भारत दो परमाणु हमलावर पनडुब्बियों के निर्माण पर भी काम कर रहा है, जिसमें लार्सन एंड टुब्रो जैसी निजी कंपनियां अहम भूमिका निभा रही हैं।
चीन और पाकिस्तान को सीधी चुनौती
रक्षा अधिकारियों के मुताबिक, यह फैसला चीनी नौसेना के तेजी से आधुनिकीकरण के जवाब में लिया गया है। भारतीय नौसेना को अगले एक दशक में अपनी करीब 10 पुरानी पनडुब्बियों को हटाना है और उनकी जगह नई पनडुब्बियों की जरूरत होगी। ऐसे में ये 6 नई पनडुब्बियां भारत की समुद्री सुरक्षा को मजबूती देंगी और चीन-पाकिस्तान की चुनौतियों का सामना करने में मदद करेंगी।