बेबाक चर्चा
रुद्रपुर: व्यापारियों की धड़कनें तेज, आंखों में खौफ और माथे पर शिकन! रुद्रपुर में काशीपुर बाईपास रोड पर प्रशासन का बुल्डोजर चलने की तैयारी है। नगर निगम के साथ आठ विभागों की एक संयुक्त टीम ने 198 अतिक्रमणों पर ‘लाल निशान’ लगा दिए हैं। इनमें से 60 से अधिक दुकानें सीधे खतरे की जद में आ गई हैं, और उनके मालिकों को चेतावनी दी गई है कि अगर एक हफ्ते के भीतर खुद ही अतिक्रमण नहीं हटाया, तो कार्रवाई होगी।
रविवार को नगर आयुक्त नरेश दुर्गापाल और एसडीएम मनीष बिष्ट के नेतृत्व में आठ विभागों – नगर निगम, राजस्व, लोनिवि, दूरसंचार, ऊर्जा, वन, जल संस्थान और विकास प्राधिकरण – की टीमों ने एक बड़ा ऑपरेशन शुरू किया। डीडी चौक से लेकर गाबा चौक तक, सड़क के डिवाइडर से दोनों तरफ 22.5 मीटर तक की नापजोख की गई। जहां भी इस दायरे में कोई इमारत या दुकान आई, उस पर फौरन ‘लाल निशान’ लगा दिया गया।
कई व्यापारियों ने पुराने कागजात और रजिस्ट्री का हवाला देते हुए टीम का विरोध करने की कोशिश की, लेकिन नगर आयुक्त ने साफ कहा कि सभी दस्तावेज और आपत्तियां बाद में जमा की जा सकती हैं। प्रशासन के इस अचानक और बड़े कदम से व्यापारियों के बीच हड़कंप मच गया है।
व्यापारियों की गुहार: मेयर और विधायक से मांगी ‘राहत’
इस ‘ऑपरेशन क्लीन’ से परेशान होकर व्यापारी तुरंत राहत के लिए मेयर विकास शर्मा और विधायक शिव अरोरा के पास पहुँचे। उन्होंने अपील की कि त्योहारी सीज़न को देखते हुए फिलहाल ध्वस्तीकरण की कार्रवाई रोक दी जाए। साथ ही, उन्होंने यह भी मांग की है कि जिन व्यापारियों का सब कुछ इस कार्रवाई में चला जाएगा, उन्हें ‘वेंडिंग जोन’ की तर्ज पर कहीं और दुकानें बनाकर दी जाएँ।
देवभूमि व्यापार मंडल और अन्य संगठनों के अध्यक्षों ने नेताओं से मुलाकात कर कहा कि व्यापारियों का कम से कम नुकसान हो, इसका कोई रास्ता निकाला जाए।
दुकान, मकान, मंदिर और स्कूल भी लपेटे में!
इस कार्रवाई की सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि सिर्फ दुकानें या मकान ही नहीं, बल्कि एक मंदिर की चारदीवारी, स्कूलों की इमारतें, और सरकारी दफ्तर भी इन ‘लाल निशानों’ की चपेट में आ गए हैं। यहाँ तक कि इंडेन गैस और खाद्य गोदाम की दीवारें भी खतरे में हैं। अकेले नगर निगम की 42 दुकानें भी ध्वस्तीकरण की जद में आ गई हैं। ऐसा लगता है कि प्रशासन इस बार आर-पार की लड़ाई के मूड में है।
क्या यह कार्रवाई त्योहारों के पहले पूरी हो पाएगी या व्यापारियों की गुहार सुनी जाएगी? यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।
अगर आप कोई और समाचार को इसी तरह से ‘स्पाइसी’ रूप में बदलना चाहते हैं, तो मुझे बताएँ!