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**रायपुर, छत्तीसगढ़।** प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने छत्तीसगढ़ के कथित शराब घोटाले में एक बड़ा खुलासा किया है। ईडी ने अपनी चौथी पूरक चार्जशीट में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को इस पूरे सिंडिकेट का ‘मास्टरमाइंड’ और ‘मुखिया’ बताया है। एजेंसी का आरोप है कि चैतन्य बघेल ने व्यक्तिगत रूप से करीब ₹1,000 करोड़ के अवैध धन का प्रबंधन किया था। ईडी ने दावा किया है कि इस धन का उपयोग उन्होंने रियल एस्टेट परियोजनाओं और अन्य व्यावसायिक कार्यों में किया।
### **अपराध की आय का हिसाब रखते थे चैतन्य**
ईडी ने कोर्ट में पेश किए गए अपने आरोप पत्र में कहा है कि 2019 में कांग्रेस सरकार बनने के बाद एक संगठित शराब सिंडिकेट बनाया गया था, जिसका संचालन तत्कालीन आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा और शराब कारोबारी अनवर ढेबर कर रहे थे। हालांकि, ईडी का आरोप है कि इस सिंडिकेट पर असली नियंत्रण चैतन्य बघेल का था। ईडी ने दावा किया है कि मुख्यमंत्री के बेटे होने के नाते उनकी भूमिका सिर्फ प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि बेहद प्रभावशाली और निर्णायक थी। वह सिंडिकेट द्वारा एकत्र किए गए सभी अवैध धन का हिसाब रखते थे। धन के संग्रह, वितरण और बड़े फैसलों में उनकी सीधे तौर पर भूमिका थी।
### **पप्पू और राम गोपाल अग्रवाल की भूमिका**
ईडी ने अपनी जांच में पाया कि अपराध की आय का एक बड़ा हिस्सा लक्ष्मी नारायण बंसल उर्फ पप्पू द्वारा एकत्र किया जा रहा था। बंसल ने अपने बयान में खुलासा किया है कि उन्होंने चैतन्य बघेल के साथ मिलकर शराब घोटाले से मिले ₹1,000 करोड़ से ज्यादा के अवैध धन का लेन-देन संभाला था।
ईडी ने आरोप लगाया कि बंसल ने यह भी बताया है कि चैतन्य के निर्देश पर 2019 से 2022 के बीच बड़ी मात्रा में नकदी तत्कालीन राज्य कांग्रेस कोषाध्यक्ष **राम गोपाल अग्रवाल** और अन्य लोगों को पहुंचाई गई थी। बंसल कथित तौर पर दीपेन चावड़ा के माध्यम से अनवर ढेबर से यह रकम लेते थे और फिर चैतन्य के साथ मिलकर इसे अग्रवाल तक पहुंचाते थे। फिलहाल अग्रवाल फरार हैं।
**’सामान’ शब्द था कोड वर्ड**
ईडी के आरोप पत्र में एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। बंसल ने अपने बयान में बताया कि वह पिछले 25 साल से भूपेश बघेल को जानते हैं और उनके पारिवारिक संबंध हैं। बंसल के अनुसार, एक बार भूपेश बघेल ने उन्हें स्पष्ट रूप से कहा था कि अनवर ढेबर उन्हें कुछ ‘सामान’ भेजेंगे, जिसे अग्रवाल को देना होगा। इसके बाद चैतन्य बघेल ढेबर से नकदी की डिलीवरी से एक दिन पहले उन्हें सूचित करते थे। बंसल ने बताया कि ‘सामान’ शब्द नकदी के लिए इस्तेमाल होने वाला एक कोड वर्ड था।
### **रियल एस्टेट में किया गया अवैध धन का निवेश**
ईडी ने आरोप लगाया कि चैतन्य बघेल ने इस अवैध कमाई का उपयोग निजी और व्यावसायिक कामों के लिए किया। उन्होंने अपनी रियल एस्टेट परियोजना **विट्ठल ग्रीन** में ₹18.90 करोड़ और अपनी रियल एस्टेट फर्म **मेसर्स बघेल डेवलपर्स एंड एसोसिएट्स** में ₹3.10 करोड़ का निवेश किया। आरोप पत्र में ₹10 करोड़ नकद निवेश का भी जिक्र है। ईडी ने इस दावे को आरोपियों के मोबाइल फोन से बरामद व्हाट्सएप चैट, चैतन्य के सीए और सलाहकार के बयानों और जब्त किए गए डिजिटल सबूतों के आधार पर पुष्ट किया है।
ईडी ने यह भी कहा कि चैतन्य अवैध धन के लेनदेन और बैठकों के लिए अनवर ढेबर और तत्कालीन उप सचिव सौम्या चौरसिया के साथ लगातार संपर्क में थे। गौरतलब है कि राज्य की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू)/भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने पिछले साल जनवरी में इस घोटाले में 70 व्यक्तियों और कंपनियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी।