बेबाक चर्चा
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकवाद को लेकर स्थानीय लोगों का गुस्सा अब खुलकर सामने आने लगा है। PoK के कुइयां गांव में एक मारे गए आतंकी हबीब ताहिर के जनाजे के दौरान उस समय अप्रत्याशित और तनावपूर्ण स्थिति पैदा हो गई, जब ग्रामीणों ने लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के हथियारबंद आतंकियों को वहां से खदेड़ दिया। यह घटना आतंकवाद पर पाकिस्तान के दोहरे रवैये और स्थानीय जनता में पनप रहे आक्रोश को उजागर करती है।
क्या है पूरा मामला?
हबीब ताहिर, जिसे आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने भर्ती कर प्रशिक्षित किया था, 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में शामिल था। भारतीय सुरक्षाबलों ने 28 जुलाई को श्रीनगर के हरवन इलाके में ‘ऑपरेशन महादेव’ के तहत एक मुठभेड़ में उसे मार गिराया था।
30 जुलाई को जब उसके पैतृक गांव कुइयां में उसका जनाजा निकाला जा रहा था, तो माहौल तब बिगड़ा जब लश्कर का स्थानीय कमांडर रिजवान हनीफ अपने हथियारबंद साथियों के साथ वहां पहुंच गया। सूत्रों के अनुसार, ताहिर के परिवार ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि वे किसी भी आतंकी संगठन को जनाजे से दूर रखना चाहते हैं। इसके बावजूद जब हनीफ ने जबरन शामिल होने की कोशिश की और उसके एक साथी ने भीड़ को बंदूक दिखाकर डराने का प्रयास किया, तो स्थानीय लोग भड़क उठे। भारी विरोध और गुस्से के बाद हनीफ और उसके साथियों को मौके से भागने पर मजबूर होना पड़ा।
बदल रहा है PoK का मिजाज?
यह घटना इस बात का संकेत दे रही है कि PoK की आम जनता अब अपने क्षेत्र में आतंकियों की मौजूदगी और उनकी गतिविधियों के खिलाफ आवाज उठाने लगी है। बताया जा रहा है कि पाकिस्तानी प्रशासन भी अब ऐसे कार्यक्रमों पर नकेल कस रहा है, जहां आतंकियों की सार्वजनिक तौर पर मौजूदगी होती है।
भारत का ‘ऑपरेशन महादेव’ और ‘सिंदूर’
हबीब ताहिर, लश्कर के प्रॉक्सी संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) का सदस्य था, जिसने पहलगाम हमले की जिम्मेदारी ली थी। अमेरिका ने हाल ही में TRF को एक आतंकवादी संगठन घोषित किया है। ताहिर को भारतीय सुरक्षाबलों ने ‘ऑपरेशन महादेव’ में ढेर किया था। इससे पहले, पहलगाम हमले के बाद भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाया था, जिसमें कई आतंकियों को मार गिराया गया था। भारत ने मई में उन पाकिस्तानी अधिकारियों के नाम भी उजागर किए थे जो इन मारे गए आतंकियों के जनाजे में शामिल हुए थे, जिसमें अमेरिका द्वारा घोषित ‘ग्लोबल टेररिस्ट’ और लश्कर कमांडर अब्दुल रऊफ भी शामिल था।
लश्कर पर पाकिस्तान की लीपापोती
यह घटना ऐसे समय में हुई है जब पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंच पर लगातार यह दावा करता है कि उसने लश्कर-ए-तैयबा के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई की है और अब यह संगठन निष्क्रिय है। हालांकि, मुरिदके में लश्कर का मुख्यालय आज भी सक्रिय है, जो पाकिस्तान के दावों की पोल खोलता है।