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विकास की राह में रोड़े क्यों?” प्रणव सिंह जी और देवयानी जी,आप दोनों को सादर नमस्कार।
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विकास की राह में रोड़े क्यों?” प्रणव सिंह जी और देवयानी जी,आप दोनों को सादर नमस्कार।

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बेबाक चर्चा 

“विकास की राह में रोड़े क्यों?”

– एक जनप्रतिनिधि की जनता से जुड़ी पुकार

प्रणव सिंह जी और देवयानी जी,

आप दोनों को सादर नमस्कार।

मैं यह बात पूरे आत्मविश्वास से कहता हूँ कि सिडकुल परियोजना मेरे लिए कोई निजी स्वार्थ नहीं, बल्कि खानपुर की जनता का सपना है – और मैं उस सपने का प्रहरी हूँ।

आपके द्वारा मुख्यमंत्री को भेजे गए पत्र में यह मांग की गई कि सिडकुल की वित्तीय स्वीकृति निरस्त की जाए, राज्य योजनाओं पर रोक लगाई जाए और मुझ पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया। क्या निजी मतभेद इतने गहरे हो सकते हैं कि पूरे क्षेत्र की उम्मीदों को ही कुचल दिया जाए?

आइए कुछ तथ्य देखें:

  • 8000+ बेरोजगार युवा खानपुर और आसपास के क्षेत्रों में नौकरी के लिए भटक रहे हैं।
  • हर साल 5000 से अधिक छात्र उच्च शिक्षा के बाद केवल रोजगार की तलाश में हरिद्वार, रुड़की और दिल्ली जैसे शहरों की ओर पलायन कर जाते हैं।
  • 72% परिवार ऐसे हैं, जिनके पास कोई स्थायी आजीविका नहीं है, वे दिहाड़ी मजदूरी या कृषि पर निर्भर हैं।
  • 150 करोड़ रुपए की लागत से प्रस्तावित सिडकुल क्षेत्र में लगभग 12,000 प्रत्यक्ष और 30,000 अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा होने की उम्मीद है।
  • 400+ एकड़ भूमि पर आधारित इस सिडकुल में फार्मा, फूड प्रोसेसिंग, ऑटो पार्ट्स और टेक्सटाइल कंपनियों ने निवेश में रुचि दिखाई है।
  • 150 बेड का उप-जिला अस्पताल, जिसकी मंजूरी हो चुकी है, वहाँ बुजुर्गों और माताओं-बहनों को अब हरिद्वार या देहरादून नहीं जाना पड़ेगा।

जनता क्या कहती है?

  • “हमने वर्षों से यही सपना देखा है कि हमारे बच्चे हमारे साथ रहें, यहीं नौकरी करें। उमेश जी ने उस सपने को रास्ता दिखाया है।”श्यामा देवी, गंगादेवपुर
  • “पहली बार हमें लग रहा है कि कोई हमारे लिए लड़ रहा है, वरना तो सबने सिर्फ वादे किए थे।”रवि तोमर, नन्हेड़ा
  • “हमारे गांव में पहली बार सड़क बनी है, हमने कभी सोचा नहीं था कि विधायक हमारे घर तक आएंगे।”इमरान अली, लुहारी

आपके द्वारा लगाया गया आरोप कि मैं भ्रष्टाचार करूँगा, इस जनता की भावनाओं का अपमान है। क्षेत्र की जनता जानती है कि उमेश कुमार न तो भ्रष्ट है, न ही किसी भ्रष्टाचार को बर्दाश्त करता है।

आपके ही पत्र में यह स्वीकार करना कि “सिडकुल की स्वीकृति उमेश कुमार ने कराई है” और “राज्य योजना से अत्यधिक धनराशि प्राप्त की है”, मेरे कार्यों का प्रमाण है। मैं आपके इन शब्दों के लिए आभारी हूँ, क्योंकि इससे जनता को भी यकीन हो गया कि मैं केवल वादे नहीं, कार्य करता हूँ।

मैं आपसे निवेदन करता हूँ – राजनीति अपनी जगह है, विरोध अपनी जगह है, लेकिन विकास को बाधित करना हजारों सपनों को रौंदना है। ये वही लोग हैं जो 10 हज़ार की नौकरी के लिए 40 किलोमीटर पैदल चलने को मजबूर हैं, उनके दर्द को समझिए।

उमेश कुमार होने के नाते मैं आपको आश्वस्त करता हूँ – खानपुर की योजनाओं को कोई ताकत नहीं रोक सकती।

जनता ने मुझे विकास के लिए चुना है, और मैं उन्हें परिणाम दूँगा – सड़क से रोज़गार तक, शिक्षा से स्वास्थ्य तक।

अब वक्त है साथ आने का, निजी मतभेद छोड़ने का और उत्तराखंड के भविष्य को संवारने का।

मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूँ कि सिडकुल परियोजना मेरे लिए कोई व्यक्तिगत लाभ का जरिया नहीं है, जैसे कुछ लोग विधायकी को कमीशन कमाने का साधन मानते हैं। मेरे लिए सिडकुल, खानपुर क्षेत्र के युवाओं का भविष्य है। यह वो सपना है जिसे हमारे बुजुर्गों ने 15 सालों से अपनी आँखों में संजो रखा है – कि एक दिन हमारे बच्चों को अपने ही क्षेत्र में रोजगार मिलेगा, और उन्हें दर-दर भटकना नहीं पड़ेगा।

आज जब सिडकुल को लेकर हज़ारों करोड़ के निवेश की उम्मीद जगी है, जब खादर के विकास की रोशनी दिखाई दे रही है, जब उप-जिला अस्पताल का सपना साकार होने जा रहा है – आप दोनों ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर सिडकुल की वित्तीय स्वीकृति निरस्त करने की सिफारिश कर दी? आपने राज्य की तमाम विकास योजनाओं पर रोक लगाने की मांग कर दी?

क्या निजी मतभेद इतने बड़े हो सकते हैं कि पूरे क्षेत्र की जनता की उम्मीदों को रौंद दिया जाए? क्या आपने सोचा उन युवाओं का क्या होता जो 10 हज़ार रुपये की नौकरी के लिए पदार्था तक जा रहे हैं, अपना खून-पसीना बहा रहे हैं? क्या उनके आँसुओं की कोई कीमत नहीं?

आपने मुझ पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए, कहा कि मैं योजनाओं का पैसा खा जाऊँगा। लेकिन क्षेत्र की जनता जानती है – उनका विधायक न तो भ्रष्ट है, न ही किसी कमीशनखोर को अपने घर की चौखट लांघने देता है। मैं जनता के पैसे को जनता की भलाई में लगाने के लिए प्रतिबद्ध हूँ।

आपके पत्र में यह स्वीकार करना कि “उमेश कुमार ने सिडकुल की स्वीकृति कराई” और “राज्य योजनाओं में अत्यधिक धनराशि लाकर दी”, आपके ही शब्दों में मेरे काम का प्रमाण है। इसके लिए मैं आपका आभारी हूँ, आपने सार्वजनिक रूप से मान लिया कि मैं अपने क्षेत्र के लिए लड़ रहा हूँ और सरकार से काम करवा रहा हूँ।

खानपुर की जनता को मैं यह विश्वास दिलाता हूँ कि कोई भी ताकत, चाहे वह कितनी भी प्रभावशाली क्यों न हो, खानपुर के विकास की योजनाओं को रोक नहीं सकती। जनता ने मुझे विकास के लिए चुना है, और यह विकास सड़कों से लेकर स्कूल, अस्पताल और रोजगार तक हर जगह दिखेगा।

अब वक्त है कि हम सब निजी विवादों से ऊपर उठकर उत्तराखंड के विकास में साझेदार बनें। मेरा आपसे निवेदन है – व्यक्तिगत मतभेद अपनी जगह हैं, लेकिन क्षेत्र की जनता की आशाओं और उनके भविष्य के साथ मत खेलिए।

– उमेश कुमार

विधायक, खानपुर


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