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आगरा। ताजमहल की सुरक्षा में सेंध लगाकर 60 विदेशी पर्यटकों के एक दल को वीआईपी ट्रीटमेंट देना पर्यटन पुलिस के जवानों को महंगा पड़ गया है। बिना किसी आधिकारिक अनुमति के पर्यटकों को पिछले गेट से प्रवेश कराने के मामले का खुलासा होने के बाद हुई जांच में पांच दरोगा सहित 10 पुलिसकर्मियों को दोषी पाया गया है। डीसीपी सिटी ने सभी को दंडित करते हुए प्रतिकूल प्रविष्टि (adverse entry) देने की संस्तुति की है।
मामला इसी साल फरवरी 2025 का है, जब पर्यटन थाने में तैनात सिपाही हिमांशु, वेदांत तेवतिया और दीपक मान एक ट्रैवल एजेंट के कहने पर 60 विदेशी पर्यटकों के दल को ताजमहल घुमाने ले गए थे। इन सिपाहियों ने पर्यटकों को मुख्य प्रवेश द्वार की जगह बराबर वाले गेट से वीआईपी की तरह प्रवेश दिलाया, जिसके लिए अधिकारियों से कोई अनुमति नहीं ली गई थी।
मामला सामने आने के बाद डीसीपी सिटी सूरज कुमार राय ने तीनों सिपाहियों को तत्काल लाइन हाजिर कर निलंबित कर दिया था। अब एसीपी द्वारा की गई विभागीय जांच में भी तीनों को दोषी करार दिया गया है।
जांच का दायरा बढ़ा तो कई और पुलिसकर्मी भी लपेटे में आ गए। जांच रिपोर्ट के आधार पर डीसीपी सिटी सोनम कुमार ने बताया कि विभिन्न मामलों में कुल 10 पुलिसकर्मियों को दोषी पाया गया है। इनमें आरक्षी सोमित कुमार को अधिकारियों के आदेश की अवहेलना और चेकिंग में लापरवाही का दोषी पाया गया, जबकि आरक्षी अंकित कुमार पर एसीपी पेशी से केस डायरी लेकर वापस न करने का आरोप सिद्ध हुआ।
इसके अलावा, विवेचना में लापरवाही बरतने के आरोप में पांच दरोगाओं – रजत कुमार शर्मा, अशोक कुमार, पृथ्वीराज सिंह, योगेश पाल और वीर सिंह यादव – को भी दोषी माना गया है। दरोगा वीर सिंह यादव ने तो अभियोग की दैनिकी (case diary) ही अपने पास रख ली थी। इन सभी को नोटिस जारी किए गए थे, लेकिन वे संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए, जिसके बाद उनके खिलाफ प्रतिकूल प्रविष्टि की कार्रवाई की गई है।
डीसीपी सिटी सोनम कुमार ने बताया कि दंडित किए गए सभी पुलिसकर्मियों के पास अपील का अधिकार है। वे पहले अपर पुलिस आयुक्त और वहां से भी अपील खारिज होने पर पुलिस आयुक्त के समक्ष अपनी अपील दायर कर सकते हैं।